मऊ : 49 शिक्षक पाए गए फर्जी, आखिर में हुए करोड़ों रुपये के गबन का मामला सच साबित हो गया
जासं, मऊ : आखिर में हुए करोड़ों रुपये के गबन का मामला सच साबित हो गया है। जनपद के अनुदानित आंबेडकर विद्यालयों में बड़े पैमाने पर शासनादेश का उल्लंघन करते हुए फर्जी अध्यापकों की नियुक्ति की गई थी। इसका खुलासा हुआ है जिलाधिकारी द्वारा बनाई गई जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर। रिपोर्ट के मुताबिक जनपद में 49 अध्यापकों की नियुक्ति में बेसिक शिक्षा विभाग सहित शासन से भी अनुमोदन नहीं लेना पाया गया। इसकी पूरी रिपोर्ट बनाकर बेसिक शिक्षा कार्यालय की गठित त्रि-स्तरीय कमेटी ने प्रशासन की गठित कमेटी के सचिव जिला समाज कल्याण अधिकारी सहित जिलाधिकारी को सौंप दी है। अब फर्जी नियुक्ति कर करोड़ों के घोटाले के मामले की गेंद प्रशासन के हवाले हैं। जिलाधिकारी द्वारा 24 फरवरी को बीएसए कार्यालय पर छापेमारी की गई थी। इसमें अनियमितता भी उजागर हुई थी। इस पर डीएम ने 37 फर्जी अध्यापकों सहित संबंधित विद्यालयों के प्रबंधकों पर एफआइआर तक दर्ज करवाई थी। पूरे मामले की जांच के लिए मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय कमेटी भी गठित की गई थी। जिसे 15 दिन में रिपोर्ट देनी थी। हालांकि लगभग ढाई माह तक रिपोर्ट न आने पर प्रशासन पर मामले को दबाने का आरोप भी लगना शुरू हो गया था। इधर, कमेटी के सदस्य जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने कार्यालय की त्रि-स्तरीय कमेटी गठित कर नियुक्त अध्यापकों के अभिलेख आदि खंगाले गए। इसमें पाया गया कि 49 अध्यापकों की नियुक्ति में बेसिक शिक्षा कार्यालय से कोई अनुमोदन नहीं लिया गया है। पूरे अभिलेखों के मिलाने में जब नियुक्ति कहीं से भी सही नहीं पाई गई तो बेसिक शिक्षा अधिकारी ने 49 अध्यापकों की रिपोर्ट प्रशासन की गठित कमेटी को भेज दी। 133 अध्यापकों का मांगा अभिलेख : जांच में 49 अध्यापकों के फर्जी नियुक्ति के खुलासे के बाद अब 33 और अध्यापकों के अभिलेख खंगाले जा रहे हैं।’>>नियुक्ति के लिए बेसिक शिक्षा विभाग से नहीं हुआ था एक भी अनुमोदन1’>>जांच के लिए गठित कमेटी सहित डीएम को बीएसए ने सौंपी रिपोर्ट1विभाग की त्रि-स्तरीय कमेटी द्वारा पत्रवली की जांच में 49 सहायक अध्यापकों का अनुमोदन नहीं मिला है। इससे यह मामला फर्जी प्रतीत होता है। इसकी रिपोर्ट जिला समाज कल्याण अधिकारी को सौंप दी गई है। अब अगली कार्रवाई विभाग को करनी है, 33 की जांच की जा रही है।1ओपी त्रिपाठी, बेसिक शिक्षा अधिकारी।