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लखनऊ : मेरिट सूची में नाम तक नहीं, लिपिक ने पैसे लेकर कराया ज्वाइन, मेरिट लिस्ट व अप्लीकेशन रजिस्टर में बदले नाम

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लखनऊ : मेरिट सूची में नाम तक नहीं, लिपिक ने पैसे लेकर कराया ज्वाइन, मेरिट लिस्ट व अप्लीकेशन रजिस्टर में बदले नाम

जागरण ब्यूरो, लखनऊ: मथुरा के शिक्षक घोटाले में एसएसपी एसटीएफ अभिषेक सिंह ने बताया कि वर्ष 2016-17 शासन ने जूनियर टीचर की भर्ती का आदेश दिया था। प्रदेश में शिक्षकों की कमी के चलते बेसिक शिक्षा विभाग में करीब 27,000 टीचरों की भर्ती के निर्देश दिए गए थे। इनमें मथुरा में 272 शिक्षक भर्ती किए जाने थे और 257 शिक्षकों की मेरिट लिस्ट जारी की गई थी। मथुरा में शिक्षक भर्ती में फर्जीवाड़े की गोपनीय शिकायत पर एसटीएफ के एएसपी आलोक प्रियदर्शी ने जांच की। मेरिट लिस्ट व अप्लीकेशन रजिस्टर से भर्ती शिक्षकों के ब्योरे का मिलान कराया गया तो कई नाम भिन्न निकले। तब लिपिक महेश से पूछताछ में धांधली पकड़ी गई। महेश ने स्वीकार किया कि अपात्रों को लेनदेन कर फर्जी नियुक्ति पत्रों के जरिये स्कूलों में ज्वाइन कराया गया था।

बीएसए कार्यालय में फर्जी शिक्षक घोटाले में मंगलवार को महेश बाबू को पकड़कर कोतवाली लाते एसटीएफ की जवान

’फर्जी तरीके से भर्ती हुए टीचर चेतन, सुभाष, रवेन्द्र व पुष्पेंद्र अन्य लोगों से संपर्क कर उन्हें लिपिक महेश के पास ले जाते थे। इसके बदले उन्हें मोटी रकम दी जाती थी। महेश को प्रति कंडीडेट दो लाख रुपये तक हिस्सा मिलता था। एसटीएफ इसकी भी जांच कर रही है कि प्रति कंडीडेट 10 लाख रुपये तक वसूले जाने के बाद किसको कितना हिस्सा दिया जाता था। फर्जी शिक्षकों को एक स्कूल में ज्वाइन कराने के बाद उसका दूसरे स्कूल में तबादला करा दिया जाता था, ताकि उनके मूल दस्तावेज न मिल सकें। फर्जी टीचरों को कितने वेतन का भुगतान हुआ, इसकी भी जांच की जा रही है।

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