मथुरा : शिक्षक भर्ती घोटाले में भले ही जांच एजेंसियां अपने स्तर से कार्रवाई कर रही
मथुरा: शिक्षक भर्ती घोटाले में भले ही जांच एजेंसियां अपने स्तर से कार्रवाई कर रही हैं, लेकिन शिक्षा विभाग जांच में लचीलापन अपनाए हुए है। ऐसा लगता है कि विभाग कड़ा कदम उठाकर घोटाले से जुड़े लोगों की कमर तोड़ना नहीं चाहता है। यही कारण है कि खंड शिक्षाधिकारियों की ओर से बैकडेट में पदभार ग्रहण कराने के लिए दबाव बनाने के बाद भी एफआइआर और बर्खास्तगी जैसी कार्रवाई करने से विभाग बच रहा है। अभी तक अनियमितता के आरोप में केवल निलंबन किया गया है। इधर, जेल जाने के बाद भी कंप्यूटर कर्मी की संविदा समाप्त करने की कार्रवाई भी शुरू नहीं की जा सकी है। शिक्षक भर्ती के दौरान सत्यापन कार्य के लिए खंड शिक्षाधिकारियों के नेतृत्व में सात टीमें थीं। काउंसिलिंग में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका खंड शिक्षाधिकारियों की थी। घोटाले के सामने के आने के बाद पूर्व बीएसए संजीव कुमार की ओर से पटल बाबू महेश शर्मा और संविदाकर्मी मोहित भारद्वाज, राधाकृष्ण के खिलाफ ही एफआइआर कराई गई। शासन ने भी बीएसए और खंड शिक्षधिकारियों पर अनियमितता की कार्रवाई करते हुए निलंबित किया है। शिक्षकों को पदभार ग्रहण कराने में प्रधानाध्यापक भी निलंबित किए गए हैं, लेकिन एफआइआर पर विभाग लचीला रुख अपनाए हुए है। प्रधानाध्यापकों का आरोप है कि बीएसए और खंड शिक्षाधिकारियों ने फोन कर पदभार ग्रहण कराने को दबाव बनाया था। कुछ प्रधानाध्यापकों ने तो इस संबंध में खंड शिक्षाधिकारियों के आदेश पत्र भी दिखाए हैं, लेकिन विभाग इन सवालों पर जवाब देने से बच रहा है। बीएसए चंद्रशेखर का कहना है कि खंड शिक्षाधिकारियों पर कार्रवाई वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर संभव है। बर्खास्तगी जैसी कार्रवाई उनके स्तर से बाहर है।’>>बैकडेट में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए प्रधानाध्यापकों पर बनाया गया था दबाव1’>>अनियमितता के आरोप में किए गए निलंबित, लेकिन एफआइआर कराने में सुस्ती