लखनऊ : आधार कार्ड से जुड़े मतदाता सूची, एक देश, एक चुनाव
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : चुनाव एक साथ कराने के लिए राय देने वाली समिति ने लोकसभा, विधानसभा चुनाव और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक मतदाता सूची पर जोर दिया है। इसके लिए सघन मतदाता पुनरीक्षण की जरूरत होगी जिसमें अधिक से अधिक तकनीकी साधनों का प्रयोग किया जाए। सुझाव है कि यदि मतदाता परिचय पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जाए तो नकली कार्ड नहीं बनाए जा सकेंगे। यदि किसी वजह से ऐसा संभव न हो तो इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड (एपिक) बनाए जाएं, जो यूनिक नंबर पर आधारित हों और एक नंबर पर दूसरा कार्ड बनते ही उसे निरस्त कर दें। इसमें मोबाइल नंबर भी जोड़े जा सकते हैं। कहा गया है कि सोलह साल तक के प्रत्येक नागरिक का डाटा बेस तैयार किया जाए। 18 साल का होते-होते कुछ जरूरी सत्यापनों के बाद उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो जाए। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र कंप्यूटराइज्ड हों और उन्हें मतदाता सूची के केंद्रीय डाटा बेस से जोड़ा जाए ताकि मौत होते ही सूची से नाम स्वत: हट जाए। 1सीधे चुने जाएं जिला पंचायत अध्यक्ष1समिति ने एक अहम सुझाव यह दिया है कि महापौर की तरह जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव भी जनता सीधे करे। साथ ही क्षेत्र और जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव को निर्थक माना है। सुझाव दिया है कि चुने हुए ग्राम प्रधानों को ही क्षेत्र पंचायत सदस्य बना दिया जाए। इसी तरह जो क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुना जाए, उसे ही जिला पंचायत सदस्य भी माना जाए।1खर्च घटेगा, विकास कार्यो को गति 1रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम से चुनाव के खर्च में बहुत कमी आएगी और विकास कार्यो को गति मिलेगी। अभी अलग-अलग चुनाव कराने से इस मद में बहुत अधिक धनराशि खर्च होती है। एक साथ चुनाव कराए जाने पर जहां व्यवस्था को संभालना आसान होगा, वहीं चुनावी बजट में कमी आएगी। कहा गया है कि अलग-अलग चुनावों में सशस्त्र बलों को भेजने में बहुत खर्च उठाना पड़ता है। 1दो चरणों में लागू हो नई व्यवस्था1नई व्यवस्था दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की गई है। पहले लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराया जाए और फिर स्थानीय निकायों को इनसे जोड़ा जाए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सभी चुनावों के लिए एक मतदाता सूची की भी वकालत की है और कहा है कि मामूली प्रयासों से ऐसा किया जा सकता है। 1समिति की अन्य सिफारिशें1इसके अतिरिक्त सदन भंग किए जाने को लेकर भी समिति ने कुछ सुझाव दिए हैं। यदि किसी सरकार का कार्यकाल दो साल या इससे कम बचा हो तो किसी सदन को भंग न किया जाए। दो साल या उससे कम अवधि पर किसी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है, तो विश्वास प्रस्ताव भी लाया जाना चाहिए। विशेष परिस्थितियों में ही राष्ट्रपति शासन का सुझाव भी दिया गया है। 1राज्य ब्यूरो, लखनऊ : चुनाव एक साथ कराने के लिए राय देने वाली समिति ने लोकसभा, विधानसभा चुनाव और स्थानीय निकाय चुनावों के लिए एक मतदाता सूची पर जोर दिया है। इसके लिए सघन मतदाता पुनरीक्षण की जरूरत होगी जिसमें अधिक से अधिक तकनीकी साधनों का प्रयोग किया जाए। सुझाव है कि यदि मतदाता परिचय पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जाए तो नकली कार्ड नहीं बनाए जा सकेंगे। यदि किसी वजह से ऐसा संभव न हो तो इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड (एपिक) बनाए जाएं, जो यूनिक नंबर पर आधारित हों और एक नंबर पर दूसरा कार्ड बनते ही उसे निरस्त कर दें। इसमें मोबाइल नंबर भी जोड़े जा सकते हैं। कहा गया है कि सोलह साल तक के प्रत्येक नागरिक का डाटा बेस तैयार किया जाए। 18 साल का होते-होते कुछ जरूरी सत्यापनों के बाद उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो जाए। जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र कंप्यूटराइज्ड हों और उन्हें मतदाता सूची के केंद्रीय डाटा बेस से जोड़ा जाए ताकि मौत होते ही सूची से नाम स्वत: हट जाए। 1सीधे चुने जाएं जिला पंचायत अध्यक्ष1समिति ने एक अहम सुझाव यह दिया है कि महापौर की तरह जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव भी जनता सीधे करे। साथ ही क्षेत्र और जिला पंचायत सदस्यों के चुनाव को निर्थक माना है। सुझाव दिया है कि चुने हुए ग्राम प्रधानों को ही क्षेत्र पंचायत सदस्य बना दिया जाए। इसी तरह जो क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष चुना जाए, उसे ही जिला पंचायत सदस्य भी माना जाए।1खर्च घटेगा, विकास कार्यो को गति 1रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम से चुनाव के खर्च में बहुत कमी आएगी और विकास कार्यो को गति मिलेगी। अभी अलग-अलग चुनाव कराने से इस मद में बहुत अधिक धनराशि खर्च होती है। एक साथ चुनाव कराए जाने पर जहां व्यवस्था को संभालना आसान होगा, वहीं चुनावी बजट में कमी आएगी। कहा गया है कि अलग-अलग चुनावों में सशस्त्र बलों को भेजने में बहुत खर्च उठाना पड़ता है। 1दो चरणों में लागू हो नई व्यवस्था1नई व्यवस्था दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की गई है। पहले लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराया जाए और फिर स्थानीय निकायों को इनसे जोड़ा जाए। समिति ने अपनी रिपोर्ट में सभी चुनावों के लिए एक मतदाता सूची की भी वकालत की है और कहा है कि मामूली प्रयासों से ऐसा किया जा सकता है। 1समिति की अन्य सिफारिशें1इसके अतिरिक्त सदन भंग किए जाने को लेकर भी समिति ने कुछ सुझाव दिए हैं। यदि किसी सरकार का कार्यकाल दो साल या इससे कम बचा हो तो किसी सदन को भंग न किया जाए। दो साल या उससे कम अवधि पर किसी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है, तो विश्वास प्रस्ताव भी लाया जाना चाहिए। विशेष परिस्थितियों में ही राष्ट्रपति शासन का सुझाव भी दिया गया है। 1समिति अध्यक्ष और सदस्य1सिद्धार्थ नाथ सिंह -स्वास्थ्य मंत्री, उत्तर प्रदेश 1विजय शर्मा- पूर्व सचिव भारत सरकार और मुख्य सूचना आयुक्त1अनुज कुमार बिश्नोई- पूर्व सचिव, भारत सरकार और पूर्व मुख्य चुनाव अधिकारी, उप्र1प्रो. बलराज चौहान-पूर्व कुलपति, डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ1विजय शर्मा- सेवानिवृत्त जज1मनोहर लाल - सेवानिवृत्त, विशेष सचिव, न्याय1एसके तिवारी- एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. राम मनोहर लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, लखनऊ। (समिति ने अपर निर्वाचन आयुक्त, वेद प्रकाश वर्मा, सेवानिवृत्त ओएसडी, मुख्य निवाचन अधिकारी चंद्र मोहन मिश्र और पंचायती राज के विशेष सचिव जितेंद्र बहादुर सिंह का भी सहयोग लिया।)