यहां सरकार के सामानांतर सिस्टम चला रहे शिक्षा माफिया
गोंडा : जिले में शिक्षा माफिया के काकस को लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक खुले मंच से टिप्पणी कर...
गोंडा : जिले में शिक्षा माफिया के काकस को लेकर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री तक खुले मंच से टिप्पणी कर चुके हैं। इसके बावजूद यहां सूरतेहाल बदलते नजर नहीं आ रहे। परीक्षाओं की सुचिता तो माफिया जहां तार-तार कर रहे, वहीं सहायता प्राप्त बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है। नियम-कायदे को दरनकिनार कर माफिया शिक्षकों की भर्ती की यहां सरकार के समानांतर व्यवस्था चला रहे। इनके आगे विभागीय अधिकारी और प्रशासन भी नतमस्तक हैं। दैनिक जागरण ने बोर्ड परीक्षा में पर्चा लीक करने और माध्यमिक शिक्षा में शिक्षकों की भर्ती का मामला उजागर किया तो कार्रवाई भी शुरू की गयी, लेकिन शिक्षक भर्ती मामले में फर्जीवाड़ा करने के आरोपियों पर अबतक प्राथमिकी तक नहीं दर्ज करायी जा चुकी। यह हाल तब है जबकि विभागीय अधिकारी की जांच में पूरे मामले का राजफाश किया जा चुका है। माफिया का धंधा इस कारण चल रहा कि सफेदपोश और कतिपय माननीय ही उनके संरक्षक बने बैठे हैं। बात विधानसभा चुनाव के पहले यहां हुई भाजपा की चुनावी जनसभा की करते हैं। इसके जरिए पीएम नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन यूपी सरकार पर गोंडा में शिक्षा माफिया के काकस को लेकर तंज कसा था। उन्होंने कहा था कि यहां शिक्षा माफिया की मंडी है, परीक्षाओं में नकल कराने के लिए बोली लगती है। उन्होंने भाजपा की सरकार बनने पर इसे समाप्त करने की बात भी कही थी। सूबे में भाजपा सरकार बनने के बाद इस बार हुई बोर्ड परीक्षा में यहां नकल रोकने के लिए खुद उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने दौरा किया। साथ ही सख्ती के कई तरह के उपाय भी किए गए। बावजूद इसके माफिया काफी हद तक अपने मकसद में कामयाब रहे। उनके द्वारा संस्कृत व यूपी बोर्ड तथा विश्विवद्यालयीय परीक्षाओं में सामूहिक नकल करायी जाती रही। पर्चे आउट कर बाजार में बेचे जाते रहे। प्रशासन को कार्रवाई की सुध तब आयी जब बोर्ड परीक्षा अंतिम दौर में थी। यूपी बोर्ड की परीक्षा के एक मामले में मुकदमा दर्ज कर केंद्र व्यवस्थापक, प्रधानाध्यापक समेत चार लोगों को जेल भेजा गया। जबकि अन्य मामलों में एफआइआर तक नहीं हो सकी। वहीं संस्कृत बोर्ड की परीक्षा में भी सामूहिक नकल का खुलासा होने पर एफआइआर दर्ज करायी गयी। वहीं, जिस पर्चे को आउट कर दिया गया उसकी परीक्षा तक निरस्त नहीं करायी जा सकी। शिक्षकों की मनमानी भर्ती और बोर्ड परीक्षा बनाने में खेल करने के मामले में तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक रामखेलावन वर्मा को शासन द्वारा निलंबित किया जा चुका है। शिक्षकों की मनमानी भर्ती की जांच संयुक्त शिक्षा निदेशक द्वारा करके रिपोर्ट प्रशासन को भेजी जा चुकी, लेकिन प्रशासन जांच रिपोर्ट पर कुंडली मारे बैठा है, इसलिए आरोपियों पर अबतक अग्रिम कार्रवाई तक नहीं हो सकी।
शिक्षक भर्ती मामले में यह है संयुक्त शिक्षा निदेशक की रिपोर्ट
-शासनादेश संख्या 5089/15-7-2001-1(26)/94 दिनांक 07-08-2001 द्वारा प्रावधानित व्यवस्था के विपरीत संस्था प्रबंधकों द्वारा उपरोक्त नियुक्तियां की गयीं। उक्त तथाकथित रूप से नियुक्त प्रवक्ता/सहायक अध्यापकों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में योजित रिट याचिकाओं में पारित अंतिम/अंतरिम आदेशों के परिपेक्ष्य में शासन व विभाग की अनुमति के बगैर संस्था प्रबंध समितियों द्वारा नियुक्त प्रवक्ता व अध्यापकों के वेतन भुगतान की सहमति तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक रामखेलावन वर्मा द्वारा प्रदान करते हुए अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए राजकोष को क्षति पहुंचाने का कार्य किया है।
ओम प्रकाश द्विवेद्वी संयुक्त शिक्षा निदेशक देवीपाटन मंडल
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ये शिक्षक नेता लड़ रहे लड़ाई-माध्यमिक शिक्षक संघ के मंडलीय मंत्री विनय कुमार शुक्ल शिक्षा विभाग में व्याप्त माफियाराज और शिक्षकों की मनमानी भर्ती के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे। इनकी ही शिकायत पर तत्कालीन कमिश्नर ने मामले की जांच जेडी से करायी। जांच पूरी होने के बाद शुक्ल शिक्षा विभाग से लेकर प्रशासन के उच्च अधिकारियों तक लगातार दौड़भाग कर दोषियों पर कार्रवाई की गुहार लगा रहे, लेकिन माफिया के काकस के आगे समूचा सिस्टम असहाय नजर आ रहा है। यह हाल तब है जबकि गत दिनों यहां आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभा मंच से माफिया पर तगड़ा वार करने की चेतावनी दे चुके हैं।
-जांच कमेटियों की रिपोर्ट मेरे पास अभी आयी नहीं है, रिपोर्ट आने पर आवश्यक कार्रवाई के लिए शासन को भेजा जाएगा।
सुधेश कुमार ओझा
मंडलायुक्त, देवीपाटन मंडल।