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एटा : ड्रेस-बस्ते मिले, लेकिन किताबें नहीं, पखवाड़ेभर में विभाग को मिल सकीं पुस्तकें, कक्षा 1, 2, 3 की कोई किताब नहीं, अधूरी पळ्स्तकों के सहारे ही बनेगा महौल 48 फीसद

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एटा : ड्रेस-बस्ते मिले, लेकिन किताबें नहीं, पखवाड़ेभर में विभाग को मिल सकीं पुस्तकें, कक्षा 1, 2, 3 की कोई किताब नहीं, अधूरी पळ्स्तकों के सहारे ही बनेगा महौल
48 फीसद

जागरण संवाददाता, एटा: स्कूल खुले एक पखवाड़ा बीत गया। सरकारी स्कूलों के बच्चों को ड्रेस मिल रही है और बैग भी मिल गया। लेकिन पढ़ाई के लिये अहम पुस्तकें नहीं मिल पायी हैं। 1वैसे तो नया सत्र 1 अप्रैल से ही शुरू हो गया, लेकिन बच्चों के बस्तों को भरने में ग्रीष्मावकाश के बाद भी विभाग मजबूर बना हुआ है। एक ओर नामांकन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। उधर विभाग की मुख्य व्यवस्थाओं में पुस्तकों की उपलब्धता अभी भी लड़खड़ाई हुई है। स्कूल खुलते ही ड्रेस का इंतजाम किया जा रहा है और जिन बच्चों को अब तक बैग नहीं मिले थे या फिर नए प्रवेश पाने वाले बच्चों को बैग भी दे दिए गए। इसके बावजूद परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई पूरी किताबों बिना निर्धारित समय सारिणी के ही संचालित करना शिक्षकों की भी मजबूरी बनी हुई है। सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि कक्षा 1 में प्रवेश लेने वाले बच्चों को भी सिर्फ एक किताब की उपलब्धता विभाग नहीं करा पाया है। अब तक की स्थिति में कक्षा 1, 2, 3 की किसी भी पुस्तक की आपूर्ति न मिलने के कारण बच्चों को भी किताबों का इंतजार बना हुआ है। इसके अलावा कक्षा 4 की 2, 5 की 4 तथा 6 की दो पुस्तकें ही आ सकी हैं। सिर्फ कक्षा 7 व 8 के ही विद्यार्थी नसीब वाले रहे हैं, जिनकी सारी पुस्तकें आ चुकी है। 1जनपद में सभी पंजीकृत बच्चों के लिए कक्षावार कुल 8 लाख 25 हजार किताबों की डिमांड भेजी गई थी। अभी तक 3 लाख 96 हजार पुस्तकें ही मिल सकी हैं। जिला पाठ्य पुस्तक प्रभारी राजीव यादव ने बताया, लगातार पुस्तकें प्राप्त हो रही हैं, जो उपलब्ध हो चुकी हैं, उन्हें ब्लॉक मुख्यालयों पर भिजवा दिया गया है।जागरण संवाददाता, एटा: स्कूल खुले एक पखवाड़ा बीत गया। सरकारी स्कूलों के बच्चों को ड्रेस मिल रही है और बैग भी मिल गया। लेकिन पढ़ाई के लिये अहम पुस्तकें नहीं मिल पायी हैं। 1वैसे तो नया सत्र 1 अप्रैल से ही शुरू हो गया, लेकिन बच्चों के बस्तों को भरने में ग्रीष्मावकाश के बाद भी विभाग मजबूर बना हुआ है। एक ओर नामांकन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। उधर विभाग की मुख्य व्यवस्थाओं में पुस्तकों की उपलब्धता अभी भी लड़खड़ाई हुई है। स्कूल खुलते ही ड्रेस का इंतजाम किया जा रहा है और जिन बच्चों को अब तक बैग नहीं मिले थे या फिर नए प्रवेश पाने वाले बच्चों को बैग भी दे दिए गए। इसके बावजूद परिषदीय स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई पूरी किताबों बिना निर्धारित समय सारिणी के ही संचालित करना शिक्षकों की भी मजबूरी बनी हुई है। सबसे महत्वपूर्ण तो यह है कि कक्षा 1 में प्रवेश लेने वाले बच्चों को भी सिर्फ एक किताब की उपलब्धता विभाग नहीं करा पाया है। अब तक की स्थिति में कक्षा 1, 2, 3 की किसी भी पुस्तक की आपूर्ति न मिलने के कारण बच्चों को भी किताबों का इंतजार बना हुआ है। इसके अलावा कक्षा 4 की 2, 5 की 4 तथा 6 की दो पुस्तकें ही आ सकी हैं। सिर्फ कक्षा 7 व 8 के ही विद्यार्थी नसीब वाले रहे हैं, जिनकी सारी पुस्तकें आ चुकी है। 1जनपद में सभी पंजीकृत बच्चों के लिए कक्षावार कुल 8 लाख 25 हजार किताबों की डिमांड भेजी गई थी। अभी तक 3 लाख 96 हजार पुस्तकें ही मिल सकी हैं। जिला पाठ्य पुस्तक प्रभारी राजीव यादव ने बताया, लगातार पुस्तकें प्राप्त हो रही हैं, जो उपलब्ध हो चुकी हैं, उन्हें ब्लॉक मुख्यालयों पर भिजवा दिया गया है।परिषदीय स्कूलों में बच्चों को बैग तो मिल गए, लेकिन अभी तक किताबों का इंतजार है ’ जागरणविभाग अगस्त की शळ्रुआत में ही जहां सत्र परीक्षाएं कराने के लिए निर्देश दे चुका है। वहां अभी पुस्तकों की व्यवस्था नहीं है। कुछ पुस्तकों से ही शिक्षा का माहौल बनाने की औपचारिकता की जा रही है। अब तक और पुस्तकें आने का इंतजार है, लेकिन अब आधी पुस्तकों का वितरण अगले सप्ताह तक हो सकेगा। एकमुश्त पुस्तकों की प्राप्ति न होने की स्थिति में विभाग पर ढुलाई का खर्चा भी बढ़ेगा।

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