इलाहाबाद : शिक्षक भर्तियों की बाधा दूर करेंगे तीन विभागों के अफसर, करीब 20 हजार पदों पर चयन को लेकर बना है असमंजस
इलाहाबाद : योगी सरकार का निर्देश है कि शिक्षा महकमों में भर्तियां तेजी से हों, ताकि शिक्षकों की कमी दूर करके पठन-पाठन बेहतर किया जाए। साथ ही युवाओं को रोजगार भी मिले। इसके उलट माध्यमिक शिक्षा विभाग की नई व पुरानी भर्तियां नियमों व अर्हता आदि में उलझकर अटक रही हैं। तमाम प्रकरण न्यायालय की चौखट पर हैं और कई मामले कोर्ट ले जाने की तैयारी है। ताजा प्रकरण अशासकीय कालेजों की स्नातक शिक्षक व प्रवक्ता भर्ती 2016 व राजकीय कालेजों की एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती 2018 है, जिसमें करीब 20 हजार पदों पर चयन को लेकर असमंजस बना है।
दैनिक जागरण’ ने भर्तियों में गहराते विवाद को प्रमुखता उठाया। गुरुवार को ‘बोर्ड एक, शिक्षक भर्ती दो, अर्हता तय करते हैं तीन’ खबर प्रकाशित किया। अब शासन गंभीर है। इसका हल निकालने को शिक्षा विभाग के तीन बड़े अफसरों यूपी बोर्ड की सचिव, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा और चयन बोर्ड सचिव को सामूहिक रूप से जिम्मा सौंपने की तैयारी है। तीनों अफसर भर्तियों में आ रहे अर्हता व अन्य विवादों का एक साथ बैठकर समाधान खोजेंगे। यह भी प्रयास होगा कि यूपी बोर्ड से ही संचालित माध्यमिक कालेजों में शिक्षक चयन की विषय के हिसाब से अर्हता समान रहे, ताकि एक ही पद की वर्षो से तैयारी कर रहे युवाओं को आवेदन करने के लिए परेशान न होना पड़े। इस संबंध में जल्द ही आदेश जारी होने के संकेत हैं।
इस तरह से फंस रहा चयन : राजकीय माध्यमिक कालेजों में 10768 एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा की जिम्मेदारी उप्र लोकसेवा आयोग यानी यूपी पीएससी को सौंपी गई। आवेदन शुरू होते ही हंिदूी, कंप्यूटर, कला जैसे विषयों की अर्हता को लेकर अभ्यर्थियों ने प्रदर्शन किया। कोर्ट के आदेश पर आवेदन हुए। 12 जुलाई को अशासकीय कालेजों में 2016 के 9294 शिक्षक भर्ती विज्ञापन के आठ विषयों के पद माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने इस आधार पर निरस्त कर दिए कि ये विषय ही नहीं हैं। 2016 की लिखित परीक्षा भी स्थगित हो गई है। यूपी पीएससी एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा 29 जुलाई को करा रहा है और इसमें जीव विज्ञान व संगीत ऐसे दो विषय शामिल हैं, जिनके पद चयन बोर्ड निरस्त कर चुका है। अब इस परीक्षा को स्थगित करने की मांग हुई। एक ही बोर्ड के दो कालेजों की दो भर्तियों को लेकर यह नौबत इसलिए आयी कि उनकी अर्हता अलग-अलग संस्था तय करती हैं।