अम्बेडकरनगर : स्कूलों में छात्रों की सुविधा का पुख्ता दावा हुआ खोखला
अंबेडकरनगर : बेसिक शिक्षा विभाग भले ही परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्रों को योजनाओं का पुख्ता लाभ पहुंचाने का दावा करता है। हालांकि धरातल पर हकीकत कुछ और ही बयां करती मिल रही है। बीते शनिवार को टांडा शिक्षा क्षेत्र के विभिनन विद्यालयों की पड़ताल करने पर स्कूलों में सुविधा और संसाधनों की बहदाल हालत तथा छात्रों के कल्याण की योजनाएं बेपटरी मिलीं। अनुशासन और शिक्षण भी तार-तार नजर आया।
टांडा शिक्षा क्षेत्र के पूर्व माध्यमिक विद्यालय सुलेमपुर में पंजीकृत 68 बच्चों में से शनिवार को 37 बच्चे ही स्कूल पढ़ने पहुंचे। विद्यालय की प्रधानाध्यापिका नाहिदा, सहायक अध्यापिका फहमीहा खातून, नफीस फात्मा, विद्यावती बच्चों को पढ़ाने का कार्य कर रहे थे। शौचालय पूरी तरह गंदगी से पटा मिला। विद्यालय में वाय¨रग तो हुई है। लेकिन बिजली नहीं है। किताबें अब तक नहीं पहुंची हैं। प्रधानाध्यापिका नाहिदा ने बताया कि बीते चार माह पूर्व बिजली काट दी गई है। जिसके कारण इस उमस भरी गर्मी में बच्चों को पढ़ाई करने को मजबूर होना पड़ रहा ह । बताया कि सफाई कर्मी नहीं आते इस कारण पैसा देकर बाहरी सफाई कर्मियों द्वारा सफाई कराई जाती है। प्राथमिक विद्यालय फतेह जुहूरपुर में पर्याप्त मात्रा में अध्यापकों की नियुक्ति है। यहां एक प्रधानाध्यापिका सईदा खातून, सहायक अध्यापिका अनवरी, खातून पूनम की तैनाती है। लेकिन यहां पढ़ने वाले बच्चों की संख्या नाम मात्र की ही है। यहां पांच कक्षाओं में कुल 36 बच्चे ही पंजीकृत हैं। जबकि शनिवार को महज 32 बच्चे ही स्कूल आए। प्रधानाध्यापिका सईदा खातून ने बताया कि विद्यालय में ड्रेस वितरित किया जा रहा था। इसलिए बच्चे बीते दिनों की अपेक्षा अधिक की संख्या में आएं हैं। उनका कहना है कि बच्चों को घर-घर जाकर बुलाने के बावजूद भी वह विद्यालय पढ़ने नहीं आ रहे हैं। यहां तक की उनके अभिभावकों से भी बात की गई लेकिन वह लोग भी इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। कक्षा एक में महज तीन बच्चे ही पंजीकृत है। प्राथमिक विद्यालय सुलेमपुर की दशा भी कुछ इसी तरह है। यहां कुल 67 बच्चे पंजीकृत है। जबकि मौजूदा समय में 46 बच्चे ही विद्यालय में पढ़ते पाए गए। यहां बच्चों को मिट्टी के चूल्हे पर मध्याह्न भोजन बनाकर उपलब्ध कराया जाता है। कारण यहां गैस चूल्हा नहीं उपलब्ध कराया जा रहा है। कक्षा एक व दो के बच्चों को कार्य पुस्तिका उपलब्ध कराए जाने के अलावा अन्य कोई पुस्तक अब तक नहीं मिली है। प्रधानाध्यापिका हुमैरा खातून, सहायक अध्यापिका रिजवाना अकसरी व तहजीब जहां के ऊपर पांच कक्षाओं में शिक्षण की जिम्मेदारी है। प्रधानाध्यापिका ने बताया कि सफाई कर्मी नहीं आते जिस कारण बाहरी व्यक्ति से साफ सफाई कराना पड़ता है। प्राथमिक विद्यालय रसूलपुर हरिजन में पंजीकृत 160 बच्चों के सापेक्ष 150 बच्चे ही पढ़ने आए। शनिवार को यहां ड्रेस वितरित होने के चलते विद्यालय के बच्चे विद्यालय के मैदान में खेलते पाए गए। विद्यालय की सहायक अध्यापिकाएं कार्यालय में वार्ता करने में व्यस्त थीं। बताया गया कि विद्यालय में दो दिनों से मध्यान्ह भोजन नहीं बना है। प्रधानाध्यापक शाह मोहम्मद ने बताया कि विद्यालय में खाद्यान्न उपलब्ध नहीं है। प्राथमिक विद्यालय शारदा त्रिलोकपुर में 68 बच्चे पंजीकृत हैं जबकि 30 बच्चे हैं स्कूल पढ़ने आए यहां की पठन पाठन की जिम्मेदारी एक दिव्यांग शिक्षामित्र मालती देवी के कंधों पर है। यहां दो कमरों में कक्षाएं संचालित हो रही हैं। बच्चों को ड्रेस तो यहां वितरित हो चुका है हालांकि किताबें अब तक नहीं पहुंची हैं।