किताबों का पता नहीं , कैसे देंगे कानवेंट को टक्कर
महराजगंज: जहां एक तरफ सरकार व प्रशासन बिना मान्यता प्राप्त संचालित विद्यालयों को बंद कराने पर लगा हुआ है , वहीं परिषदीय विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों के भविष्य को भी अंधकारमय बनाने में कोई कसर नही छोड़ रहा है। नए शिक्षा सत्र के महीने बीतने के बाद भी बच्चों को पढ़ने के लिए किताबों का इंतजाम नहीं हो सका है । जबकि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल माह के अंत तक किताबें देने की बात कही थी। विकास क्षेत्र मिठौरा क्षेत्र में संचालित परिषदीय विद्यालयों के बच्चें महीनों से बिना किताबों के ही स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं। जहां एक तरफ सरकार नित नए प्रयोग करके कानवेंट विद्यालयों को मात देने के फिराक में लगी है वही अपने ही आदेशों पर समय से अमल करने में विफल साबित हो रहा है। मिठौरा ब्लाक के कई विद्यालयों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने का कार्य शुरू हो गया है , लेकिन बिना किताबों के इनमें पढ़ने वाले बच्चों को कौन सी शिक्षा दी जाती है, इसी बात से समझा जा सकता है। वर्तमान शिक्षा सत्र में मिठौरा ब्लाक में करीब 20 हजार छात्र छात्राएं परिषदीय प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय में पढ़ रहें हैं, जिसमें से लगभग छह हजार बच्चों ने नए शिक्षा सत्र में नामांकन कराया है। ऐसे में पुराने किताबों के भरोसे किसी तरह नैया पार लगाई जा रही है। मिठौरा ब्लाक के पांच विद्यालय अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा के लिए चयनित किए गए हैं , लेकिन इन विद्यालय के बच्चों को भी अंग्रेजी माध्यम की किताबें नहीं मिलने से सरकार की बच्चों को अंग्रेजी के बजाय हिन्दी के किताबों से ही मजबूरी वश पढ़ना पढ़ रहा है।