मऊ : लखनऊ ही नहीं, यूपी के इस जिले में भी शिक्षामित्रों ने बाल मुंडवाकर सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन
मऊ । अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे शिक्षामित्रों ने बुधवार को लखनऊ सहित यूपी के कई जिलों में प्रदर्शन किया। लखनऊ में शिक्षामित्रों ने लखनऊ में अपने बाल मुंडवाकर विरोध प्रदर्शन किया तो मऊ में बाल मुंडवाकर काला दिवस मनाया। उन्होंने राज्य व केंद्र की सरकार पर अपनी अनदेखी करने के आरोप लगाए।
मऊ जिले के दोहरीघाट ब्लाक स्थित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक पर बुधवार को शिक्षामित्रों ने काला दिवस मनाया। उन्होंने सिर मुड़ाकर प्रदेश सरकार की नीतियों और वादा खिलाफी का विरोध किया। कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार शिक्षामित्रों के हक में अध्यादेश लाकर उनकी नौकरियां बचा सकती हैं। इस दौरान हुई सभा में शिक्षामित्रों ने कहा कि एक वर्ष पूर्व कोर्ट ने शिक्षामित्रों के खिलाफ फैसला दिया। लेकिन कोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी कि वे शिक्षामित्रों को सम्मानजनक मानदेय दे सकती है ।
वक्ताओं ने कहा कि अब तो केंद्र और राज्य दोनों जगह एक ही पार्टी की सरकारें हैं। संसद में भरपूर बहुमत भी है सरकार चाहती को शिक्षामित्रों के हक में अध्यादेश लाकर उनकी नौकरी बचा सकती है। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। कहा कि कोर्ट से विरोध में फैसला आने के बाद प्रदेश में 750 शिक्षामित्रों ने आत्महत्या कर ली थी। कहा कि 25जुलाई को कोर्ट ने शिक्षा मित्रों के विरोध में फैसला सुनाया, लेकिन दृढ़ इच्छा शक्ति के अभाव में सरकार शिक्षामित्रों के कल्याण के लिए कुछ भी नहीं कर सकी।
हां, अपना हक मांग रहे शिक्षामित्रों पर लाठी चलवाकर मुख्यमंत्री ने अपनी निरंकुश कार्यप्रणाली का परिचय दे दिया। शिक्षामित्रों ने बांहों पर काली पट्टी बांधकर मुण्डन कराया तथा सरकार विरोधी नारे लगाकर प्रदर्शन किया। उपस्थित शिक्षा मित्रों ने आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले शिक्षामित्रों को श्रद्धांजलि देते हुए सरकार के विरोध मे जमकर नारे बाजी की और उसकी कार्यप्रणाली को कोसा।
दोहरीघाट ब्लाक के शिक्षामित्रों ने बुधवार को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्मारक पर एकत्र होकर सरकार के विरोध में काली पट्टी बांधकर मुंडन कराया। साथ ही सरकार विरोधी नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि 25जुलाई को कोर्ट ने शिक्षामित्रों के विरोध मे फैसला सुनाया तथा सरकार ने शिक्षामित्रों के आंसू नहीं पोछ पाई। जबकि पूरे प्रदेश में लगभग 750 शिक्षामित्रों ने जान गंवाई।