लखनऊ : गरीबों के दाखिलों पर फिर बढ़ी मुसीबत, बीएसए की नोटिस बेअसर, सख्ती न होने से स्कूल मालिक कर रहे मनमानी, तरस नहीं खाते बीएसए, स्कूल में घुसने नहीं देते मैनेजर
लखनऊ। बीएसए डा.अमरकान्त सिंह ने सोमवार को दस स्कूलों के खिलाफ जो नोटिस जारी कि वह ढुलमुल रवैय्ये को दर्शाती हुई दिखी। सरकारी भाषा में लिखे पत्र के अन्तिम तीन लाइनों में स्कूल मैनेजरों को फिर एक बार मौका दिया है। अभिभावक कमरे में ऐसी शिकायतें रोजाना लेकर आते हैं, जिसमें स्कूल मालिक न केवल स्कूल गेट में घुसने से ही रोक देते हैं, कुछ जो घुस जाते हैं, उन्हें बहाने टरका देते हैं। यह हाल तब है जब जिलाधिकारी ने कह रखा है कि गरीबों के बच्चों के एडमिशन में नुक्ताचीनी करने वाले स्कूलों पर कार्रवाई की जाय। गोमतीनगर स्थित इमाकुलेट कन्सेप्शन कान्वेन्ट स्कूल ने जहां दिव्यांग राजपाल को स्कूल में घुसने ही नहीं दिया तो वहीं वृन्दावन सेक्टर छह स्थित एलेन हाऊस पब्लिक स्कूल के दर्जनों एडमिशन स्कूल गेट में घुसने नहीं पा रहे हैं। कुछ यही हाल ब्राइट वे स्कूल और बेबी मार्टिन पब्लिक स्कूल का भी है, जहां पर राजीव गुप्ता के बेटे रूद्र गुप्ता का फार्म ही स्कूल मैनेजर ने फाड़ दिया। कुछ यही हाल दिव्यांशु रावत, केशव, मोती, राजेश शर्मा के बच्चों के साथ भी है, जो रोजाना विभाग के आरटीई सेल पर चक्कर लगा रहे हैं।
इन दस स्कूलों को मिला है नोटिस
लखनऊ। बीएसए डा.अमरकान्त सिंह ने जिन दस स्कूलों को सोमवार को नोटिस दी है, उसमें तहसीनगंज स्थित बेबी मार्टिन इण्टरनेशनल स्कूल, खालाबाजार स्थित एक्जान मान्टेन्सरी स्कूल, ब्राइट वे स्कूल की सभी शाखाएं, रेड रोज सीनियर सेकेण्डरी स्कूल राजाजीपुरम, बादशाहनगर स्थित लोएला इण्टरनेशनल स्कूल, मोहान रोड स्थित सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल, इन्दिरानगर स्थित गुरूकुल एकेडमी, मोतीनगर स्थित अग्रसेन पब्लिक स्कूल, वृन्दावन सेक्टर छह योजना स्थित ऐलेन पब्लिक स्कूल, मेहंदीगंज कश्मीरी बाग स्थित राजकुमार एकेडमी शामिल है। इन सभी स्कूलों के खिलाफ लाटरी में चयनित बच्चों के प्रवेश न लेने तथा कई-कई नोटिसों के देने के बाद भी आदत में सुधार न आने की बात कही गयी है।
ब्राइट वे, रेड रोज व एलेन हाऊस भी दौड़ा रहे अभिभावकों को
नहीं हो पाए चार हजार के एडमिशन
लखनऊ (एसएनबी)। राजधानी के स्कूलों में गरीबों के लिए एडमिशन कराने की ‘‘स्कीम’ एकतरफ जहां उनका समय बर्बाद कर रही है तो वहीं गरीब विभाग का मनोरंजन बन गये हैं। शायद यही कारण है कि महीनों चक्कर लगवाने वाले स्कूलों के खिलाफ जब बीएसए ने आदेश जारी किया तो वह भी झोल वाला ही रहा। सरकारी भाषा में भेजे गये इन निर्देशों में अन्तिम की लाइनों में उन्हें फिर से एक मौका दे दिया गया। गौरतलब है कि पिछली दो सूचियों के माध्यम से अभी भी छह हजार से अधिक बच्चों के एडमिशन स्कूलों में नहीं हो पाए हैं, ऐसे में वे अभिभावक दौड़ रहे हैं।बेसिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत आने वाले आरटीई (राइट टू एजूकेशन) में पिछले दिनों में कुल दो सूचियां निकलीं, जिसमें करीब 9600 बच्चों को लाटरी के माध्यम से राजधानी के प्राइवेट स्कूलों में दाखिला करने के लिए कहा गया। इन स्कूलों में बाकायदा विभाग की ओर से सूचियों के साथ ही फार्म की एक प्रति भी पहुंचा दी गयी, लेकिन मैनेजरों ने कभी-सूची न आने तो कभी अभिभावक को ही अमीर बताकर दौड़ाना जारी है। एडमिशन के शुरुआती महीनों यानि मई व जून में तत्कालीन बीएसए की शहर पर स्कूल गेट के अन्दर ही अभिभावकों को घुसने नहीं देते हैं। हाल यह है कि बीएसए डा.अमर कान्त सिंह के आरटीई सेल के कर्मचारी टरकाता रहता है। बहरहाल रोजाना सैकड़ों अभिभावक बीएसए कार्यालय के चक्कर लगाते हैं।