कानपुर : सिस्टम लाचार, पुरानी किताबों से पढ़ने को बच्चे तैयार
जागरण संवाददाता, कानपुर: विभागीय अफसरों की लापरवाही व ढुलमुल रवैए के चलते एक बार फिर प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लाखों बच्चे इस सत्र में भी पुराने किताबों से पढ़ने को तैयार हैं। वह क्या कर सकते हैं, जब सिस्टम ही लाचार हो चुका है। दो जुलाई से जनपद के सभी स्कूल खुल रहे हैं, लेकिन स्थिति यह है कि शासन ने अभी आठवीं की 10 में से आठ किताबों को ही भेजा है। अन्य कक्षाओं की पुस्तकें अगस्त तक भेजने की बात कही गई है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि शासन के अफसर सत्र की शुरुआत में जो बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे, वह हवा-हवाई साबित हुईं। 1कुछ दिनों पहले बेसिक शिक्षा निदेशक ने निर्देश दिए कि स्कूल खुलने से पहले सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर ली जाएं, लेकिन जब बच्चों के पास किताबें ही नहीं होंगी तो वह क्या पढ़ेंगे। विभागीय कर्मियों का साफ कहना है, कि पुरानी किताबें मुहैया करा दी गई हैं। मगर जो करोड़ों रुपये व्यवस्थाएं बेहतर करने के नाम पर खर्च होते हैं तो स्थितियां क्यों नहीं सुधरती। इसका सटीक जवाब देने वाला कोई नहीं है।
मंडल की स्थिति भी ठीक नहीं: मंडल के सभी जनपदों में सभी कक्षाओं की किताबें नहीं वितरित हो पाई हैं। कुछ कक्षाओं की किताबें दो जुलाई से ही बच्चों तक पहुंचाने के लिए कवायद शुरू करने की बात कही गई है। 1’>>शासन भेज सका महज आठवीं की पुस्तकें, अन्य कक्षाओं की किताबें अगस्त में आएंगीकिताबों के वितरण को लेकर शासन से जो निर्देश मिले हैं, वह अधीनस्थों को दे दिए गए हैं। जहां लापरवाही की जानकारी मिली तो कड़ी कार्रवाई कराएंगे। 1-डॉ. फतेह बहादुर सिंह, एडी बेसिक