इलाहाबाद : संस्कृत विद्यालयों के छात्रों को अब ‘योग’ की डिग्री देगा एनआइओएस
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : देशभर में संस्कृत विद्यालयों एवं गुरुकुल पद्धति से शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को ‘योग’ की डिग्री प्राप्त करना आसान होगा। यहां के छात्र राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान (एनआइओएस) के परंपरागत 10वीं या 12वीं के कोर्स में दाखिला लेकर ‘योग’ में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। छात्रों को संस्कृत बोर्ड द्वारा प्रदत्त केतीन विषयों को यथावत रखकर दो अतिरिक्त विषय जोड़ दिए जाएंगे। इससे छात्रों को ‘योग’ के क्षेत्र में करियर बनाने में आसानी होगी, साथ ही उच्च शिक्षा में आगे बढ़ने की राह भी खुल जाएगी। 1नेशनल ओपेन स्कूलिंग इंस्टीट्यूट के माध्यम से संस्कृत विद्यालयों के छात्र योग में शिक्षा, प्रशिक्षण एवं रोजगार में सहायता मिलेगी। संस्थान गुरुकुल एवं संस्कृत विद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों को सांसारिक शिक्षा दिलाने की यह कवायद की गई है। इसमें 10वीं अथवा 12वीं कक्षा में अध्ययनरत छात्रों को एनआइओएस के पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा। परीक्षा में संस्कृत बोर्ड द्वारा प्रदान किए गए तीन विषयों को जोड़ दिया जाएगा। एनआइओएस में छात्र हंिदूी-अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा के साथ योग से जुड़े एक या दो विषय ले सकेंगे। छात्रों को योग दर्शनशास्त्र और क्रिया विज्ञान मानव शरीर, आहार एवं शारीरिक शुद्धि पढ़ाया जाएगा। व्यवहारिक योग विज्ञान के अंतर्गत प्रायोगिक योग प्रशिक्षण (योगासन, प्रणायाम, ध्यान आदि) का अध्ययन कराया जाएगा। योग शिक्षक कौशल (मैक्रो - टीचिंग) के माध्यम से शिक्षण में पारंगत होने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। संस्कृत बोर्ड द्वारा प्राप्त वेद, उपनिषद और धर्म-कर्म के परंपरागत विषयों को अंकों को सीधे उनके अंकपत्र में जोड़ दिया जाएगा। एनआइओएस के क्षेत्रीय निदेशक वी. सतीश ने बताया कि संस्कृत बोर्ड से शिक्षा प्राप्त छात्रों के समक्ष रोजगार की समस्या हुआ करती थी। वर्तमान में केंद्र एवं राज्य सरकारें योग शिक्षा को रोजगार देना चाहती है। ऐसे में संस्कृत विद्यालय के छात्र योग में पंजीकृत डिग्री न होने के कारण पिछड़ सकते हैं। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने संस्कृत विद्यालय अथवा गुरुकुल पद्धति से शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को यह सुविधा दी है।जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : देशभर में संस्कृत विद्यालयों एवं गुरुकुल पद्धति से शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को ‘योग’ की डिग्री प्राप्त करना आसान होगा। यहां के छात्र राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान (एनआइओएस) के परंपरागत 10वीं या 12वीं के कोर्स में दाखिला लेकर ‘योग’ में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं। छात्रों को संस्कृत बोर्ड द्वारा प्रदत्त केतीन विषयों को यथावत रखकर दो अतिरिक्त विषय जोड़ दिए जाएंगे। इससे छात्रों को ‘योग’ के क्षेत्र में करियर बनाने में आसानी होगी, साथ ही उच्च शिक्षा में आगे बढ़ने की राह भी खुल जाएगी। 1नेशनल ओपेन स्कूलिंग इंस्टीट्यूट के माध्यम से संस्कृत विद्यालयों के छात्र योग में शिक्षा, प्रशिक्षण एवं रोजगार में सहायता मिलेगी। संस्थान गुरुकुल एवं संस्कृत विद्यालयों में पढ़ रहे छात्रों को सांसारिक शिक्षा दिलाने की यह कवायद की गई है। इसमें 10वीं अथवा 12वीं कक्षा में अध्ययनरत छात्रों को एनआइओएस के पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा। परीक्षा में संस्कृत बोर्ड द्वारा प्रदान किए गए तीन विषयों को जोड़ दिया जाएगा। एनआइओएस में छात्र हंिदूी-अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा के साथ योग से जुड़े एक या दो विषय ले सकेंगे। छात्रों को योग दर्शनशास्त्र और क्रिया विज्ञान मानव शरीर, आहार एवं शारीरिक शुद्धि पढ़ाया जाएगा। व्यवहारिक योग विज्ञान के अंतर्गत प्रायोगिक योग प्रशिक्षण (योगासन, प्रणायाम, ध्यान आदि) का अध्ययन कराया जाएगा। योग शिक्षक कौशल (मैक्रो - टीचिंग) के माध्यम से शिक्षण में पारंगत होने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। संस्कृत बोर्ड द्वारा प्राप्त वेद, उपनिषद और धर्म-कर्म के परंपरागत विषयों को अंकों को सीधे उनके अंकपत्र में जोड़ दिया जाएगा। एनआइओएस के क्षेत्रीय निदेशक वी. सतीश ने बताया कि संस्कृत बोर्ड से शिक्षा प्राप्त छात्रों के समक्ष रोजगार की समस्या हुआ करती थी। वर्तमान में केंद्र एवं राज्य सरकारें योग शिक्षा को रोजगार देना चाहती है। ऐसे में संस्कृत विद्यालय के छात्र योग में पंजीकृत डिग्री न होने के कारण पिछड़ सकते हैं। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने संस्कृत विद्यालय अथवा गुरुकुल पद्धति से शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को यह सुविधा दी है।