इलाहाबाद : अंतर जिला तबादलों में अफसरों ने स्वीकारी गलती
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : परिषदीय शिक्षकों के अंतर जिले तबादलों में गड़बड़ियों का मामला थम नहीं रहा है। जिलों से लेकर बेसिक शिक्षा परिषद मुख्यालय व शासन तक शिक्षक बड़ी संख्या में शिकायतें कर रहे हैं। अफसरों ने इससे बचने के लिए गड़बड़ी का ठीकरा एनआइसी लखनऊ के सिर फोड़ा है। जिन जिलों से स्थानांतरण हुए वहां का मिनिमम कटऑफ घोषित करके शिक्षकों से आपत्तियां मांगी गई हैं। 1परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षकों ने अंतर जिला तबादलों में मनचाही तैनाती की उम्मीदें लगाई थी। आदेश के ठीक एक साल बाद 13 जून को तबादला सूची होने के बाद से शिक्षकों की नाराजगी कम नहीं हो रही है। इसकी वजह यह है कि वर्षो से दूसरे जिलों में कार्यरत शिक्षकों को दरकिनार करके कम गुणवत्ता अंक वालों का मनचाहा स्थानांतरण हो गया है। इसमें महिलाएं, दिव्यांग व अन्य हर तरह के शिक्षक शामिल हैं। साथ ही विभाग ने तबादला सूची जारी करने से पहले कई बार नियमों में बदलाव किया। यहां तक कि नियम विरुद्ध ग्रामीण से शहर तक में स्थानांतरण हुए हैं। अब विवाद बढ़ने पर अफसर पल्ला झाड़ करके एनआइसी लखनऊ पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। असल में इस बार मैनुअल की जगह कंप्यूटर से ही सारे स्थानांतरण किए गए। कई शिक्षकों के गुणवत्ता अंकों में हेरफेर करके उन्हें तबादले का लाभ मिला।1हंगामा मचने पर एनआइसी ने एनआइसी ने प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों का मिनिमम कटऑफ जारी किया है। उच्च प्राथमिक के 56 जिलों में से मैनपुरी का सर्वाधिक कटऑफ 18 रहा है। श्रवस्ती का 17 और गौतमबुद्ध नगर व गाजियाबाद का 16-16 दिया गया है। वहीं, रामपुर, सहारनपुर, फरुखाबाद आदि का 5-5 अंक है। ऐसे ही प्राथमिक में 52 जिलों का ही कटऑफ घोषित हुआ है। इसमें मेरठ, मुजफ्फरनगर, हापुड़, बागपत, गौतमबुद्ध नगर का सर्वाधिक 12-12, लखनऊ, महोबा व शामली का 11-11, इलाहाबाद, बरेली, गोरखपुर, हरदोई, कासगंज आदि का 5-5 अंक रहा है। खास बात यह है कि इसमें बांदा जिले का जिक्र तक नहीं है, जबकि तबादले वहां से भी हुए हैं। परिषद ने शिक्षकों से कहा है कि वह कटऑफ देखने के बाद उनके कार्यरत जिले से उससे कम कटऑफ वाले का यदि तबादला हुआ है तो आपत्ति ई-मेल पर दें। शुक्रवार तक आपत्तियां मांगी गई हैं।राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : परिषदीय शिक्षकों के अंतर जिले तबादलों में गड़बड़ियों का मामला थम नहीं रहा है। जिलों से लेकर बेसिक शिक्षा परिषद मुख्यालय व शासन तक शिक्षक बड़ी संख्या में शिकायतें कर रहे हैं। अफसरों ने इससे बचने के लिए गड़बड़ी का ठीकरा एनआइसी लखनऊ के सिर फोड़ा है। जिन जिलों से स्थानांतरण हुए वहां का मिनिमम कटऑफ घोषित करके शिक्षकों से आपत्तियां मांगी गई हैं। 1परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक शिक्षकों ने अंतर जिला तबादलों में मनचाही तैनाती की उम्मीदें लगाई थी। आदेश के ठीक एक साल बाद 13 जून को तबादला सूची होने के बाद से शिक्षकों की नाराजगी कम नहीं हो रही है। इसकी वजह यह है कि वर्षो से दूसरे जिलों में कार्यरत शिक्षकों को दरकिनार करके कम गुणवत्ता अंक वालों का मनचाहा स्थानांतरण हो गया है। इसमें महिलाएं, दिव्यांग व अन्य हर तरह के शिक्षक शामिल हैं। साथ ही विभाग ने तबादला सूची जारी करने से पहले कई बार नियमों में बदलाव किया। यहां तक कि नियम विरुद्ध ग्रामीण से शहर तक में स्थानांतरण हुए हैं। अब विवाद बढ़ने पर अफसर पल्ला झाड़ करके एनआइसी लखनऊ पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। असल में इस बार मैनुअल की जगह कंप्यूटर से ही सारे स्थानांतरण किए गए। कई शिक्षकों के गुणवत्ता अंकों में हेरफेर करके उन्हें तबादले का लाभ मिला।1हंगामा मचने पर एनआइसी ने एनआइसी ने प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों का मिनिमम कटऑफ जारी किया है। उच्च प्राथमिक के 56 जिलों में से मैनपुरी का सर्वाधिक कटऑफ 18 रहा है। श्रवस्ती का 17 और गौतमबुद्ध नगर व गाजियाबाद का 16-16 दिया गया है। वहीं, रामपुर, सहारनपुर, फरुखाबाद आदि का 5-5 अंक है। ऐसे ही प्राथमिक में 52 जिलों का ही कटऑफ घोषित हुआ है। इसमें मेरठ, मुजफ्फरनगर, हापुड़, बागपत, गौतमबुद्ध नगर का सर्वाधिक 12-12, लखनऊ, महोबा व शामली का 11-11, इलाहाबाद, बरेली, गोरखपुर, हरदोई, कासगंज आदि का 5-5 अंक रहा है। खास बात यह है कि इसमें बांदा जिले का जिक्र तक नहीं है, जबकि तबादले वहां से भी हुए हैं। परिषद ने शिक्षकों से कहा है कि वह कटऑफ देखने के बाद उनके कार्यरत जिले से उससे कम कटऑफ वाले का यदि तबादला हुआ है तो आपत्ति ई-मेल पर दें। शुक्रवार तक आपत्तियां मांगी गई हैं।