ग्राम प्रधान व शिक्षकों के हौसलों से बदली स्कूलों की तस्वीर
अमरोहा: यदि मन में कुछ करने का हौसला और जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। परिषदीय स्कूलों की ब...
अमरोहा: यदि मन में कुछ करने का हौसला और जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। परिषदीय स्कूलों की बदहाली जगजाहिर है। संसाधनों का अभाव एवं शिक्षकों की कमी से परिषदीय स्कूलों में गुणवत्तापरक शिक्षा का अभाव है। अधिकांश स्कूलों के बच्चे आसान सवालों के जवाब तक नहीं जानते। लेकिन जनपद में कुछ शिक्षक और जन प्रतिनिधि ऐसे हैं जिनके हौसलों ने वाकई प्राइमरी स्कूलों की तस्वीर बदल दी। कहीं ग्राम प्रधान तो कहीं शिक्षक खुद के पैसों से जरूरी संसाधन जुटा रहे हैं और ये स्कूल भी अब किसी कान्वेंट स्कूल से कम नहीं है। जनपद में एक दो नहीं बल्कि ऐसे 55 परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूल हैं जो युवा शिक्षक एवं ग्राम प्रधानों के हौसलों से आज कान्वेंट स्कूलों को टक्कर दे रहे हैं। नए आने वाले शिक्षकों की सोच बदल रही है, और वह दूसरे शिक्षकों को भी सीमित संसाधन में कैसे उत्कृष्ट शिक्षा प्रदान की जा सकती है इसकी प्रेरणा दे रहे हैं। इन शिक्षकों ने सरकार की ओर से मिलने वाली धनराशि का इंतजार नहीं किया, बल्कि अपनी सैलरी में से ही स्कूलों का कायाकल्प किया है। कुछ स्थानों पर ग्राम प्रधान आगे आए हैं उन्होंने भी शिक्षकों की भावनाओं को समझते हुए पंचायत निधि से विद्यालयों को चमकाया है। प्राथमिक विद्यालय सुल्तानपुर वीरान की प्रधान अध्यापिका नेहा गुप्ता ने बिना किसी की मदद से विद्यालय में बच्चों के बैठने को फर्नीचर की व्यवस्था की और स्कूल का सुदंरीकरण कराया। नेहा गुप्ता ने अपने पास से विद्यालय में संसाधन जुटाने में करीब 2.5 लाख रुपये खर्च किए हैं। यही वजह से कि आज उनका विद्यालय किसी भी स्तर पर कान्वेंट स्कूल से कमतर नहीं है। इसी तरह से प्राथमिक विद्यालय बसेड़ा खुर्द के प्रधान अध्यापक भूपेंद्र ¨सह ने भी खुद के पैसे स्कूल में जरूरी संसाधन जुटाए हैं। फर्नीचर के साथ ही स्कूल का सुंदरीकरण कराया है। प्राथमिक विद्यालय बुढ़नपुर द्वितीय के प्रधान अध्यापक सुधीर कुमार ने भी दूसरे शिक्षकों से प्रेरणा लेकर विद्यालय में फुलवारी, टाट पट्टी की जगह फर्नीचर व बाउंड्रीवाल स्वयं के संसाधनों से कराई है। पिछले दिनों एमएलसी डॉ.जयपाल ¨सह व्यस्त ने खुद इस विद्यालय के सुंदरीकरण का लोकार्पण किया था। इसी तरह प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय पतेई भूड़, उच्च प्राथमिक विद्यालय खईया माफी, सुल्तानपुर ठेर, प्राथमिक विद्यालय मोहम्मदाबाद, प्राथमिक विद्यालय कुदैनी, प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय तिगरी, प्राथमिक विद्यालय नाजरपुर खुर्द, उच्च प्राथमिक विद्यालय खेतापुर तथा उच्च प्राथमिक विद्यालय नन्हेड़ा समेत करीब 55 विद्यालय ऐसे जिन्हें शिक्षकों ने कहीं खुद तो कहीं ग्राम प्रधान के सहयोग से संवारा है। जनपद ही नहीं अब ऐसे सभी विद्यालयों की सूबे में मिशाल दी जाती है। अब ऐसे स्कूलों की संख्या जनपद में दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। अन्य शिक्षक व ग्राम प्रधान इनसे प्रेरणा लेकर आगे आ रहे हैं। - जिले के करीब 55 स्कूलों के शिक्षक एवं ग्राम प्रधानों ने ²ढ़ इच्छा शक्ति के बल पर परिषदीय स्कूलों की तस्वीर बदलने का काम किया है। इन लोगों ने स्वयं के संसाधनों से परिषदीय स्कूलों को कान्वेंट स्कूलों की तरह बना दिया है। इन स्कूलों की शिक्षा का स्तर भी गुणवत्तापूर्ण है।
बच्चे अनुशासित हैं, शिक्षक भी अपनी जिम्मेदारियों का ठीक से निवर्हन कर रहे हैं। यदि इसी तरह से अन्य स्कूलों के शिक्षक एवं ग्राम प्रधान या अन्य जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारी समझे तो वाकई परिषदीय स्कूलों की तस्वीर बदल जाएगी और बच्चों गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिल सकेगी।
गौतम प्रसाद, बीएसए, अमरोहा।