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गोरखपुर : स्कूलों की मरम्‍मत के लिए आ गया पैसा, बनना क्‍या है पता नहीं

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गोरखपुर : स्कूलों की मरम्‍मत के लिए आ गया पैसा, बनना क्‍या है पता नहीं


हिन्दुस्तान टीम, गोरखपुर । 2017 में आए बाढ़ के दौरान जो प्राथमिक विद्यालय पढ़ाने लायक नहीं बचे उनकी मरम्मत में बेसिक शिक्षा विभाग ने गजब की लापरवाही की है। एक तो बिना किसी से सर्वे कराए बजट की डिमांड कर दी और दूसरे इतना कम पैसा मांगा कि उसमें एक विद्यालय के भवन की मरम्मत तो दूर उसका फर्स भी न बन पाए। यू कह लें कि जिन विद्यालयों के भवन 2017 की बाढ़ में पूरी तरह जर्जर हो गए थे उन्हें महज 20 हजार रुपये में आबाद कर देंगे। इसके साथ ही विभाग ने जो प्रस्ताव भेजा था उसमें सिर्फ बजट का ही जिक्र था उससे विद्यालयों में क्या काम होना है, क्या-क्या बनेगा इसका कोई जिक्र ही नहीं है।


हैरान करने वाली तो बात तो यह है कि जर्जर विद्यालयों के मरम्मत लिए बजट एक महीने पहले ही आ गया था लेकिन शिक्षा विभाग द्वारा इसमें कोई रूचि न दिखाने के चलते एक महीने तक आपदा विभाग के खाते में ही पैसा पड़ा रहा। विभाग को पैसा न जाने की स्थिति में डीएम के. विजयेन्द्र पाण्डियन ने जब इसकी पड़ताल कराई तो चला कि शिक्षा विभाग द्वारा कोई रूचि न दिखाने के चलते पैसा स्थानांतरित नहीं हो सका है। ऐसे में आपदा विभाग के सामने भी यह संकट खड़ा हो गया कि आखिर वह किस काम के लिए पैसा शिक्षा विभाग को जारी करे। इसे लेकर जब आपदा प्रबंधक विभाग ने शिक्षा विभाग से सम्पर्क कर जानकारी चाही तो वहां के अधिकारी आना-कानी करते रहे।

जितना बजट मांगा गया उसमें नहीं सकेगी विद्यालयों की मरम्मत

यह कोई और नहीं बल्कि डीएम के. विजयेन्द्र पाण्डियन भी स्वीकार कर चुके हैं कि विद्यालयों के भवनों की मरम्मत के लिए जितना बजट मांगा गया है वह काफी कम है। उस बजट में कोई काम नहीं हो पाएगा। जबकि कुल जर्जर 123 विद्यालयों में दर्जनों विद्यालय ऐसे हैं जिनका भवन पूरी तरह से जर्जर हो गया है।

विद्यालय में दीवाल की होनी है मरम्मत या फर्स की पता ही नहीं

जिला प्रशासन के माध्यम से बेसिक शिक्षा विभाग ने जो प्रस्ताव भेजा गया था उसमें बजट का जिक्र तो थ लेकिन उससे विद्यालय में क्या-क्या होना है इसका कोई उल्लेख नहीं था। बजट मंजूर होने के बाद अब आपदा विभाग परेशान है कि विभाग को आखिर किन कार्यों के लिए पैसा भेजे।

कब क्या हुआ

अक्तूबर 2017 में 48 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा गया

जून 2018 में 48 लाख रुपये मंजूर कर लिया गया

जून के बाद जुलाई बीतने के कगार पर है लेकिन अभी तक शिक्षा विभाग काम नहीं शुरू करवा सका

राज्य वित्त का पैसा मिलाकर काम करवाएंगे

जितने पैसे की डिमांड गई थी वह बेहद ही कम थी। इतने पैसे में स्कूलों की मरम्मत नहीं कराई जा सकती। ऐसे में इस बजट में राज्य वित्त का कुछ बजट मिलाकर विद्यालयों की मरम्मत कराई जाएगी।

के. विजयेन्द्र पाण्डियन, जिलाधिकारी

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