SHIKSHAK BHARTI, FAKE, FIR : शिक्षक भर्ती घोटाले में पकड़े गए फर्जी शिक्षकों के खिलाफ रिपोर्ट कराने के आदेश
मथुरा: में फर्जी दस्तावेजों से नौकरी प्राप्त करने वाले शिक्षकों के खिलाफ पदभार ग्रहण कराने वाले निलंबित प्रधानाध्यापकों को एफआइआर कराने के निर्देश बीएसए ने दिए हैं। बीएसए के इस कदम पर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने सवाल खड़े किए हैं। संघ का कहना है कि फर्जी शिक्षकों के खिलाफ बीएसए को ही एफआइआर करानी चाहिए थी।
29334 विज्ञान, गणित शिक्षक भर्ती घोटाले में 110 सहायक शिक्षक फर्जी दस्तावेज से नौकरी प्राप्त करने में सफल हुए थे। इस मामले में विभागीय कार्रवाई पर आरंभ से ही सवाल खड़े होने लगे। उच्चाधिकारियों को बचाने के लिए छोटे कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई। फर्जी दस्तावेजों से शिक्षकों को पदभार ग्रहण कराने वाले प्रधानाध्यापकों को निलंबित कर दूसरे विद्यालयों से संबंद्ध कर दिया गया। जबकि कुछ ऐसे तथ्य भी सामने आए, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रधानाध्यापकों को पदभार ग्रहण कराने को दबाव बनाया। इसमें नौ शिक्षकों पर तत्कालीन बीएसए संजीव कुमार की ओर से एफआइआर कराई गई। प्राथमिक शिक्षक संघ का कहना है कि वर्तमान बीएसए चंद्रशेखर कार्रवाई से बच रहे हैं। बीएसए ने शेष 101 फर्जी दस्तावेजों से नौकरी प्राप्त करने वाले सहायक शिक्षकों के खिलाफ निलंबित प्रधानाध्यापकों को एफआइआर कराने के निर्देश दिए हैं।
इधर, निलंबित प्रधानाध्यापकों, इंचाजरें को 16 से 21 जुलाई तक उनके मूल विद्यालय में अवमुक्त करने के निर्देश भी दिए हैं। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राजेश कुमार शर्मा, जिला मंत्री मनोज कुमार रावत, जिला कोषाध्यक्ष अशोक कुमार सोलंकी, संरक्षक रोहिताश सिंह, सुशीला चौधरी, विजय शर्मा आदि ने फर्जी शिक्षक भर्ती घोटाले में विभागीय अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। पदाधिकारियों का कहना है कि कूटरचित दस्तावेजों से नौकरी प्राप्त करने वाले शिक्षकों के खिलाफ बीएसए को एफआइआर करानी चाहिए। यदि बीएसए एफआइआर नहीं कराते हैं तो शिक्षक संघ को आंदोलन क लिए बाध्य होना पड़ेगा।