दाखिला तो दूर, स्कूल में घुसने नहीं दे रहे स्कूल
जागरण संवाददाता, लखनऊ: बेसिक शिक्षा विभाग की नाकामी का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि आरटीई के तहत करीब 12 हजार पात्र बच्चों में महज पांच हजार को ही दाखिला मिल सका। दाखिला पाने के लिए इतने से अधिक बच्चे रोजाना स्कूलों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग की इसी नाकामी का एक बड़ा उदाहरण मंगलवार को देखने को मिला। आरटीई के तहत बीएसए का आदेश लेकर बेटी के साथ गोमती नगर के विनीत खंड स्थित इमाकुलम स्कूल पहुंचे दिव्यांग पिता को स्कूल में घुसने भी नहीं दिया गया। अभिभावक ने साथ में बीएसए का आदेश होने का हवाला भी दिया, मगर स्कूल ने एक न सुनी। दिव्यांग पिता अपनी बेटी का दाखिला दिलाने के लिए घंटों स्कूल के बाहर खड़ा रहा। मगर दाखिला नहीं लिया गया।
कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा विभाग
आरटीई के तहत बच्चों को हर हाल में निश्शुल्क शिक्षा का प्रावधान है। विभागीय जानकार बताते हैं कि दाखिला न देने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई हेतु बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास पर्याप्त अधिकार हैं। बावजूद इसके बीएसए व शीर्ष स्तर के अधिकारी मनमाने स्कूलों पर कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा रहे। आखिरकार, इसका सीधा खामियाजा बच्चों व अभिभावकों को भुगतना पड़ रहा है। वर्जन
सभी अभिभावकों से कहा गया है कि आरटीई के तहत यदि कोई स्कूल दाखिला देने से इंकार कर रहा है तो इसकी लिखित शिकायत मुझे दें। उसके बाद मेरी जिम्मेदारी है। हर हाल में स्कूलों को बच्चों का दाखिला लेना होगा। इमाकुलम स्कूल की शिकायत मिली है, कार्रवाई होगी।
डॉ. अमरकांत सिंह, बीएसए