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लखनऊ : लाइब्रेरी और स्मार्ट क्लासरूम से लेकर समर कैंप तक होते हैं अब प्राथमिक विद्यालय निशातगंज में, स्वाति की कोशिशों से बदली सरकारी स्कूल की सूरत

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लखनऊ : लाइब्रेरी और स्मार्ट क्लासरूम से लेकर समर कैंप तक होते हैं अब प्राथमिक विद्यालय निशातगंज में, स्वाति की कोशिशों से बदली सरकारी स्कूल की सूरत

स्वाति श्रीवास्तव
स्वाति श्रीवास्तव ने बताया कि यहां एक नियमित शिक्षक और एक शिक्षामित्र तैनात है। ऐसे में वह सभी बच्चों को क्वॉलिटी एजुकेशन देने में समर्थ नहीं हैं, इसलिए हमने यहां एक निजी शिक्षक की तैनाती भी की है, जिसको हम अपने पास से सैलरी देते हैं। साथ ही साफ सफाई के लिए एक कर्मचारी भी अपने पास से तैनात किया है।
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अगर आप भी किसी ऐसे शख्स के बारे में जानते हैं जो समाज के लिए कुछ खास कर रहा है, जिससे सबको सीख लेनी चाहिए तो हमें लिखें।
एक शिक्षक को देती हैं सैलरी
हमें बताएं• एनबीटी संवाददाता, लखनऊ: बदलाव के लिए अमले की जरूरत नहीं बस एक संकल्प ही काफी है। इस बात को साकार किया है शहर की समाज सेविका स्वाति श्रीवास्तव ने। महज एक साल में उन्होंने एक सरकारी स्कूल की सूरत बदल दी। प्राथमिक विद्यालय निशातगंज को उन्होंने एक साल पहले गोद लिया था। उस समय एक कमरे की जमीन पर 15 से 20 बच्चे पढ़ते थे। एक साल में उन्होंने यहां स्मार्ट क्लासरूम से लेकर, लाइब्रेरी और कंप्यूटर रूम तक डिवेलप कर दिया। नतीजा यह हुआ कि आज बच्चों की संख्या जहां तीन गुना हो गई है वहीं सारी सुविधाएं भी कॉन्वेंट जैसी हो गई हैं।

क्लास रूम में लगाए गए प्रॉजेक्टर: स्प्रेड स्माइल संस्था की निदेशक स्वाति श्रीवास्तव ने बताया कि एक साल पहले जब स्कूल गोद लिया तो यहां छह कमरे थे, लेकिन एक को छोड़कर सब बंद थे। शुरुआत में पहले सारे कमरे खुलवाए। एक कमरे में छह कंप्यूटर लगाकर उसे कंप्यूटर लैब के रूप में विकसित किया। इसके बाद एक कमरे में प्रॉजेक्टर लगाकर उसे स्मार्ट क्लारूम बनाया। तीसरे कमरे में हमने लाइब्रेरी बनाई है, जहां किताबें और बेंच रखवाई हैं। शेष तीन कमरों को क्लासरूम बनाया है। साथ ही गर्मी की छुट्टियों में समर कैंप भी आयोजित किया गया था। इन सबके लिए संस्था चंदे से पैसा जुटाती है।

स्वाति श्रीवास्तव ने बताया कि अब हम एक स्कूल और गोद लेना चाहते हैं, जिससे उसे भी इसी तरह डिवेलप करें। शिक्षा विभाग के अधिकारियों से हम यह सहयोग चाहते हैं कि हमने जो भी संसाधन मुहैया करवाया है, शिक्षकों से कहकर उसे उपयोग में लाया जाए, जिससे बच्चों को इसका लाभ मिल सके। साथ ही समय समय पर उसका मेंटेनेंस भी हो सके।

प्रस्तुति: जीशान हुसैन राईनी
स्वाति श्रीवास्तव

समाज सेविका
इनसे सीखें

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