बालिकाओं में शिक्षा का स्तर परखने पहुंची विदेशी टीम
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : सुबह-सबेरे गांव के उबड़-खाबड़ रास्ते से चलकर दो गोरे-चिट्टे फिरंगी...
जागरण संवाददाता, ज्ञानपुर (भदोही) : सुबह-सबेरे गांव के उबड़-खाबड़ रास्ते से चलकर दो गोरे-चिट्टे फिरंगी जब कालीन नगरी के विकास खंड भदोही के पिपरीस गांव में पहुंचे, तो गांववासी हक्काबक्का हो गए। देखते ही देखते यह सूचना जंगल में आग की तरह फैल गई और कुछ मिनटों में सभी ग्रामीण जुट गए। उसके बाद तो कौतूहलवश सभी गांववासी अनुयायी की तरह इनके पीछे-पीछे हो लिए और जब ये हुजूम जुवेश नट के घर के सामने रुका तो सभी अचरज में पड़ गए। सभी के मन में सवालों का अंर्तद्वंद, लेकिन जवाब एक भी नहीं। पर जब कुछ ही देर में इन दोनो विदेशी नागरिकों के साथ आए देशी लोगों ने हकीकत से रुबरू कराया, तब कहीं जाकर सवालों की पिपासा शांत हुई।
दरअसल, यूरोपीय महाद्वीप के डेनमार्क से प्रकाशित एक समाचार पत्र दानिश के दो पत्रकार क्रिष्टिन और सोफिया श्रमिक भारतीय संस्था के माध्यम से भारतीय गांवों में बालिकाओं और महिलाओं में शिक्षा के स्तर पर खोजपरक रिपोर्टिंग के चार दिनी दौरे के तहत मंगलवार को जनपद पहुंची। रिपोर्टिंग का मुख्य विषय ग्रामीण क्षेत्रों में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाली बालिकाओं पर गहन अध्ययन करना है। दोनो पत्रकारों ने जुवेश की बच्चियों सहित आसपास की अन्य बालिकाओं से बात की।
ग्रामीण क्षेत्रों में बालिकाओं की साक्षरता को लेकर अभिभावकों की ओर से गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। इसी वजह से साक्षरता दर निरंतर घटती जा रही है। मामले की गंभीरता को देख संस्था की ओर से कई गांवों के आंकड़ा जुटाने का काम किया जा रहा है। वाराणसी स्थित होटल में ठहरी टीम करीब चार दिन चलने वाले सर्वे कार्य में रोज जनपद के विभिन्न गांवों में पहुंचकर आंकड़ा जुटाएगी। पिपरीस में आंकड़ा जुटाने का कार्य पूरा हो जाने के उपरांत भदोही क्षेत्र के ही रैमलपुर, बलभद्रपुर, मूंसी, सियरहां व जमुनीपुर अठगवां गांव में भी टीम की ओर से अध्ययन किया जाएगा। विदेशी पत्रकारों की टीम के अलावा संस्था के जिला परियोजना समन्वयक चक्रसुदर्शनधारी, कृष्ण कुमार मौर्य व अंजुला देवी सहयोग में जुटे रहे।
-बच्चियों की पीड़ा सुन सभी की आंख छलकी
बातचीत के दौरान जुवेश की बारह वर्षीय लड़की मनीषा की बानगी ने सभी की आंखों को नम कर दिया। मनीषा ने काफी कुरेदने के बाद बताया कि उसके पिता जुवेश और माता बेबी बेहद ही गरीब हैं। छह बहन और चार भाइयों में वह सबसे बड़ी है। मां-बाप के साथ छोटे- भाई-बहनों को और परिवार की जिम्मेदारी संभालने के चक्कर में उसे बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी।