चार माह बाद भी बच्चों के हाथों में नहीं पहुंचीं किताबें
जागरण संवाददाता, बांदा: बच्चों को जुलाई माह में पाठ्यपुस्तक उपलब्ध कराने के दावे खोखले साबित...
जागरण संवाददाता, बांदा: बच्चों को जुलाई माह में पाठ्यपुस्तक उपलब्ध कराने के दावे खोखले साबित हो रहे है। चालू शिक्षा सत्र के चार माह बीतने को है लेकिन अभी तक परिषदीय स्कूलों के बच्चों के हाथों में पाठ्यपुस्तक नहीं पहुंची है। बुधवार को जनपद के चार दर्जन से अधिक परिषदीय स्कूलों की पड़ताल की गई तो स्थिति उजागर हुई। स्कूलों में शिक्षक व बच्चे किसी तरह पुरानी पाठ्यपुस्तकों से काम चला रहे हैं। कुछ बच्चों के पास पुरानी भी पाठ्यपुस्तक नहीं है। ऐसे में शायद शैक्षणिक गुणवत्ता कीबात कराना बेमानी होगा।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी परिषदीय स्कूलों में 30 जुलाई तक पाठ्यपुस्तकों का वितरण किए जाने के आदेश जारी किए हैं। लेकिन जनपद में सीएम के आदेशों का कोई खास असर नहीं दिखाई दे रहा है। जिले के किसी भी परिषदीय स्कूल के बच्चों के हाथों में पाठ्यपुस्तक नहीं पहुंची है। मुख्यालय के प्राथमिक पाठशाला खिन्नी नाका भाग-1 व 2 में पाठ्यपुस्तक न होने से शिक्षिक बच्चों क सूचना पट पर लिखकर पढ़ा रहे हैं। शिक्षिक का कहना है कि कुछ बच्चों के पास पुरानी पाठ्यपुस्तक है लेकिन ज्यादातर बच्चों के पास पाठ्यपुस्तक नहीं हैं। कमोवेश यहीं स्थिति प्राथमिक विद्यालय केवटरा भाग-2, प्राथमिक विद्यालय पुलिस लाइन, प्राथमिक विद्यालय खुटला, प्राथमिक विद्यालय कालूकुआं आदि विद्यालयों की भी थी। यहां बच्चे पुरानी किताबों के सहारे पढ़ाई कर रहे थे। ¨तदवारी संवादसूत्र के अनुसार प्राथमिक विद्यालय मिरगहनी भाग-1, प्राथमिक विद्यालय मुंगुश भाग-1, प्राथमिक विद्यालय सुनरही में बच्चों के पास पाठ्यपुस्तक नहीं है। शिक्षकों का कहना है कि वह बच्चों को पुरानी किताबों से पढ़ा रहे है। इसी प्रकार
प्राथमिक विद्यालय ब¨हगा, प्राथमिक विद्यालय पुरानी ¨तदवारी में भी बच्चे पुरानी किताबों से काम चला रहे हैं। अतर्रा संवाद सहयोगी के अनुसार प्राथमिक विद्यालय अतर्रा, कन्या पाठशाला अतर्रा, प्राथमिक विद्यालय बरेहडा, प्राथमिक विद्यालय महुटा, प्राथमिक विद्यालय तुर्रा व महोतरा में भी बच्चों के पास पाठ्यपुस्तक नहीं है। संकुल प्रभारी रामकिशोर का कहना है कि बच्चों को पुरानी पाठ्यपुस्तक से पढ़ाया जा रहा है। नई पाठ्यपुस्तक शासन से ही नहीं आई है। अंग्रेजी माध्यम में 4 माह से पढ़ रहे एबीसीडी
शासन के निर्देश पर जनपद में 40 परिषदीय स्कूलों को कान्वेंट स्कूलों की तर्ज पर अंग्रेजी माध्यम से संचालित किया जा रहा है। लेकिन यहां शैक्षिक गुणवत्ता की बात करना तो दूर स्कूलों में अभी तक अंग्रेजी पाठ्यक्रम की पुस्तक ही नहीं आई है। स्कूलों में शिक्षक बच्चों को पिछले चार माह से महज एबीसीडी ही पढ़ाने में लगे हुए हैं। हालत तो यह है कि 11 अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के लिए विभाग के पास सहायक शिक्षक व 6 में प्रधानाध्यापक ही नहीं है। जिसमें पहले से नियुक्ति हिन्दी मीडियम के ही शिक्षक शिक्षण कार्य को अंजाम दे रहे हैं।
क्या कहते हैं अधिकारी
पाठ्यपुस्तक शासन से ही आनी है। अभी तक महज कक्षा-6,7,8 की ही कुछ पाठ्यपुस्तक आई है जिन्हें विद्यालयों में भेजा जा रहा है। उम्मीद है कि एक दो दिन में हिन्दी व अंग्रेजी माध्यम की सभी पाठ्यपुस्तक मुख्यालय आ जाएगी।
अर¨वद अस्थाना, जिला समन्वयक सर्व शिक्षा अभियान