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इलाहाबाद : अब पहली क्लास से ‘गुड टच’ एवं ‘बैड टच’ की शिक्षा

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इलाहाबाद : अब पहली क्लास से ‘गुड टच’ एवं ‘बैड टच’ की शिक्षा

अजहर अंसारी’ इलाहाबाद । सेंट जोसेफ स्कूल में छोटी क्लास के छात्रों को अब ‘गुड टच’ एवं ‘बैड टच’ की शिक्षा दी जाएगी। नैतिक शिक्षा के तहत इसे पढ़ाया जाएगा। बड़ी क्लास में यौन शिक्षा को पाठयक्रम में शामिल किया गया है। इसी सत्र से इसकी शुरूआत की जा रही है। कक्षा एक से पांच तक छात्रों के लिए स्कूल में विशेष काउंसलिंग क्लास होगी।1कालेज में नैतिक शिक्षा को और विस्तार दिया जा रहा है। इसमें यौन शिक्षा एवं उसकी वजह से समाज में फैली अज्ञानता एवं विकृति को पाठयक्रम में शामिल किया जा रहा है। इसके तहत डाक्टर , समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिकों के माध्यम से छात्रों की तमाम जिज्ञासाओं को दूर किया जाएगा। कालेज में कक्षा छ: से लेकर 12 तक वैल्यू एजूकेशन के अंतर्गत एक विशेष पाठ जोड़ा गया है। विशेषकर इसमें कक्षा छह से अधिक आयु वर्ग के छात्रों को किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक बदलाव के बारे में आंतरिक एवं वाह्य विशेषज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान की जाएगी। विशेषज्ञ बच्चों के साथ सीधा संवाद कर उनके सवालों का जवाब देंगे। पाठ्यक्रम के आधार पर छात्रों की परीक्षा भी होगी। प्रधानाचार्य राल्फी डिसूजा ने बताया कि बदलते परिवेश में यौन शिक्षा जरूरी है। इंटरनेट, स्मार्ट फोन ने इसबीच अपसंस्कृति को जन्म दिया है। ऐसे में छात्रों के मन में गलत विचार आते हैं। जो समाज के लिए हानिकारक है। वैसे गत वर्ष इसे परीक्षण के रूप में शुरू किया गया था। इस वर्ष से कालेज में यौन शिक्षा पूरी तरह से लागू कर दिया गया है।अजहर अंसारी’ इलाहाबाद 1सेंट जोसेफ स्कूल में छोटी क्लास के छात्रों को अब ‘गुड टच’ एवं ‘बैड टच’ की शिक्षा दी जाएगी। नैतिक शिक्षा के तहत इसे पढ़ाया जाएगा। बड़ी क्लास में यौन शिक्षा को पाठयक्रम में शामिल किया गया है। इसी सत्र से इसकी शुरूआत की जा रही है। कक्षा एक से पांच तक छात्रों के लिए स्कूल में विशेष काउंसलिंग क्लास होगी।1कालेज में नैतिक शिक्षा को और विस्तार दिया जा रहा है। इसमें यौन शिक्षा एवं उसकी वजह से समाज में फैली अज्ञानता एवं विकृति को पाठयक्रम में शामिल किया जा रहा है। इसके तहत डाक्टर , समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिकों के माध्यम से छात्रों की तमाम जिज्ञासाओं को दूर किया जाएगा। कालेज में कक्षा छ: से लेकर 12 तक वैल्यू एजूकेशन के अंतर्गत एक विशेष पाठ जोड़ा गया है। विशेषकर इसमें कक्षा छह से अधिक आयु वर्ग के छात्रों को किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक बदलाव के बारे में आंतरिक एवं वाह्य विशेषज्ञों द्वारा जानकारी प्रदान की जाएगी। विशेषज्ञ बच्चों के साथ सीधा संवाद कर उनके सवालों का जवाब देंगे। पाठ्यक्रम के आधार पर छात्रों की परीक्षा भी होगी। प्रधानाचार्य राल्फी डिसूजा ने बताया कि बदलते परिवेश में यौन शिक्षा जरूरी है। इंटरनेट, स्मार्ट फोन ने इसबीच अपसंस्कृति को जन्म दिया है। ऐसे में छात्रों के मन में गलत विचार आते हैं। जो समाज के लिए हानिकारक है। वैसे गत वर्ष इसे परीक्षण के रूप में शुरू किया गया था। इस वर्ष से कालेज में यौन शिक्षा पूरी तरह से लागू कर दिया गया है।बच्चों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखना आवश्यक 1राजकीय मनोविज्ञानशाला के डॉ. कमलेश तिवारी ने बताया कि मानसिक रूप से बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए उचित शिक्षा देनी जरूरी है। वर्तमान में किताबों और इंटरनेट के माध्यम से छात्रों में यौन के प्रति जिज्ञासा अधिक बढ़ रही है। प्राथमिक स्तर पर इसे दूर किया जाना आवश्यक है। बच्चों को स्कूल में यौन शिक्षा मिले इससे ज्यादा जरूरी है कि घर में भी उनकी यौन संबंधी जिज्ञासा की संभावना दूर किया जाए।

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