इलाहाबाद : छह से 14 वर्ष के बच्चों को नहीं मिल रही शिक्षा
हिन्दुस्तान टीम, इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि सीनियर बेसिक स्कूलों की सोसायटी व प्रबंध समिति के प्रधानाचार्य की नियुक्ति को लेकर चल रहे विवाद बच्चों के शिक्षा पाने के मूल अधिकार का हनन करने वाले हैं। क्योंकि विवाद से खराब माहौल के कारण छह से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा नहीं मिल रही है।
कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि सूबे के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल में अनिवार्य शिक्षा कानून एवं अनुच्टेद 21 ए के शिक्षा के मूल अधिकार कड़ाई से लागू हैं या नहीं।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने इमलिया जूनियर हाईस्कूल सोसायटी जालौन (उरई) के अध्यक्ष की याचिका पर दिया है। याचिका में प्रबंध समिति द्वारा नियुक्त प्रधानाचार्य को अनुमोदित करने के बीएसए के आदेश को चुनौती दी गई है। मामले के तथ्यों के अनुसार प्रबंध समिति ने वर्षों से रिक्त प्रधानाचार्य का पद भरने की अनुमति मांगी।
याची ने इसके विरुद्ध बीएसए व सहायक निबंधक सोसायटी से शिकायत की। सहायक निबंधक ने रोक लगा दी लेकिन अपनी शक्ति का श्रोत नहीं बताया। मामला सीडीओ के यहां गया। प्रधानाचार्य का चयन पूरा कर लिया गया और बीएसए ने अनुमोदन भी दे दिया तो सहायक निबंधक ने दोनों को साक्ष्यों के साथ तलब किया और याची की शिकायत को निराधार मानते हुए अस्वीकार कर दिया। इस पर यह याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने कहा कि प्रधानाचार्य की नियुक्ति का अनुमोदन हो चुका है इसलिए हस्तक्षेप का आधार नहीं है लेकिन प्रबंधकीय विवाद के कारण शिक्षा का माहौल खराब होने पर अपर मुख्य सचिव शपथपत्र प्रस्तुत करें।