लखनऊ : शिक्षक दिवस पर यूपी के 41556 शिक्षकों को मिलेगा नियुक्ति पत्र, मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने सभी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक पद का नियुक्ति पत्र शिक्षक दिवस पर सौंपने का लक्ष्य दिया है
हाल ही में संपन्न यूपी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 में पास हुए 41, 556 शिक्षकों को टीचर्स डे यानी 5 सितम्बर को नियुक्ति पत्र सौंपने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. बता दें 68, 500 पदों के लिए कराई गई लिखित परीक्षा में से 41, 556 अभ्यर्थी उत्तीर्ण घोषित किए गए हैं. जिनका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 28 अगस्त को समाप्त हो रहा है.मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय ने सभी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को सहायक अध्यापक पद का नियुक्ति पत्र शिक्षक दिवस पर सौंपने का लक्ष्य दिया है. मुख्य सचिव ने कहा है कि नियुक्ति पत्र जानी करने के लिए सभी प्रमाण पत्रों का सत्यापन और आवश्यक कार्रवाई प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित किया जाए. इन पदों पर भर्ती होने वाले शिक्षकों के अन्तरजनपदीय तबादले नहीं हो सकेंगे.सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति के लिए वरीयता के क्रम में जिलों का निर्धारण कर सकेंगे. जिलों में रिक्त पदों की संख्या के अनुरूप अभ्यर्थी के भारांक व गुणांक और वरीयता के आधार पर जिले में काउंसलिंग में शामिल हो सकेंगे. काउंसलिंग में योग्य मिले अभ्यर्थी को नियुक्ति दी जाएगी.परिषद के सचिव संजय सिन्हा ने बताया कि विज्ञापन सभी 75 जिले मे सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए जारी हुआ है. हर जिले में रिक्त पदों की संख्या वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है. भर्ती में सभी जिलों के लिए एक ही आवेदन पत्र मान्य रखा गया है.बता दें सहायक अध्यापक के 68,500 पदों के लिए लिखित परीक्षा इस साल 27 मई को संपन्न हुई थी. यह योगी सरकार के कार्यकाल की पहली बड़ी भर्ती परीक्षा है. सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी, इलाहाबाद, डॉ सुत्ता सिंह ने 13 अगस्त को रिजल्ट जारी किया. 41556 अभ्यर्थी परीक्षा में सफल घोषित किए गए हैं. परिणाम से स्पष्ट है कि इस भर्ती के 26944 पद खाली रह जाएंगे. जिसके लिए सरकार कट ऑफ़ मार्क को कम करने के लिए हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी.इस बार यूपी शिक्षक भर्ती लिखित परीक्षा में सामान्य और ओबीसी वर्ग को 45 फीसदी और एससी-एसटी को 40 फीसदी अंक पर उत्तीर्ण मानते हुए रिजल्ट जारी किया गया है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद शासनादेश जारी कर इन पासिंग मार्क्स में संशोधन कर दिया गया था. जिसे लेकर छात्रों ने लखनऊ में विरोध प्रदर्शन भी किया था. छात्रों की मांग थी कि सरकार इस शासनादेश के खिलाफ हाईकोर्ट में आपत्ति लगाए.