मेरठ : एक शिक्षक पर 44 बच्चे, पढ़ाई फिसड्डी
अमित तिवारी ’ मेरठ स्कूल में पढ़ाई की गुणवत्ता तभी बेहतर होती है, जब शिक्षक कक्षा के हर बच्चे को समान समय दे सकें। इसीलिए राष्ट्रीय अनुपात एक शिक्षक पर 40 बच्चों का निर्धारित है। केंद्रीय विद्यालयों में भी इसी तर्ज पर पढ़ाई होती है जिसकी शिक्षण गुणवत्ता पर अब भी लोगों का विश्वास कायम है। यूपी बोर्ड के माध्यमिक स्कूलों में भी यह अनुपात एक शिक्षक पर 44 बच्चों का है। लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता में लगातार गिरावट आ रही है। कम बच्चों के बावजूद रिजल्ट नहीं सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत मिली सूचना के अनुसार जिले में कुल 43 राजकीय व 132 सहायता प्राप्त विद्यालय हैं। इनमें 694 प्रवक्ता और 1,792 सहायक अध्यापक कार्यरत हैं। सत्र 2017-18 के आंकड़ों के अनुसार जिले के राजकीय विद्यालयों में 6,232 और सहायता प्राप्त विद्यालयों में 1,03,887 छात्र-छात्रएं पढ़ाई कर रहे थे। इस हिसाब से जिले के सरकारी व सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षक-छात्र का अनुपात 1:44 का बैठता है। उधर, निजी स्कूलों में यह अनुपात न्यूनतम 1:60 होता है। बावजूद इसके रिजल्ट व विषय पर बच्चों की पकड़ सरकारी स्कूलों से कहीं बेहतर होती है। सरकारी की तुलना में एडेड बेहतर जिले के 43 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में 42 यूपी बोर्ड व एक सीबीएसई से मान्यता प्राप्त है। इनमें 49 प्रवक्ता और 223 सहायक अध्यापक कार्यरत हैं। सत्र 2017-18 में राजकीय विद्यालयों में 6,232 बच्चे पंजीकृत थे। इन स्कूलों में एक शिक्षक पर अधिकतम 23 बच्चे थे। 1132 सहायता प्राप्त विद्यालयों में 645 प्रवक्ता और 1,569 सहायक अध्यापक हैं। पिछले सत्र में 1,03,887 बच्चे पंजीकृत थे। इनमें शिक्षक-छात्र अनुपात 1:47 का था। बावजूद इसके रिजल्ट में कोई भी सरकारी स्कूल सहायता प्राप्त विद्यालयों के निकट भी नहीं दिखाई देता है। जहां बच्चे वहां शिक्षक नहीं1राजकीय स्कूलों में रमसा (राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान) के हाईस्कूल एवं एमएसडीपी (बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम) के इंटर कालेजों में दो या चार शिक्षक पूरा स्कूल संभाल रहे हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से शुरू हुए दोनों राजकीय मॉडल इंटर कालेजों को भी चार-चार शिक्षक ही मिले। उधर, जीआइसी मेरठ सहित कुछ स्कूलों में बच्चों की तुलना में शिक्षकों की संख्या सर्वाधिक है। एडेड स्कूलों में पीटीए (अभिभावक-शिक्षक संगठन) के तहत शिक्षकों की पूर्ति किए जाने से रिजल्ट को बेहतर बनाए रखने की कवायद चल रही है।