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बलिया : 85 जर्जर विद्यालयों के भवन में सुरक्षित नहीं हैं नौनिहाल

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85 जर्जर विद्यालयों के भवन में सुरक्षित नहीं हैं नौनिहाल


जागरण संवाददाता, बलिया : जिले में परिषदीय विद्यालयों के रख-रखाव के प्रति उदासीनता के चलते लग...

जागरण संवाददाता, बलिया : जिले में परिषदीय विद्यालयों के रख-रखाव के प्रति उदासीनता के चलते लगभग 85 विद्यालय हैं जो जर्जर हाल में हैं ¨कतु इनके कायाकल्प की ओर कोई ध्यान नहीं है। जिले में कुल 17 ब्लाक हैं। औसतन हर ब्लाक में पांच या छह विद्यालय ऐसे हैं जो उचित रख-रखाव के अभाव में जर्जर हो चलें हैं।

उदाहरण के तौर पर शिक्षा क्षेत्र मुरली छपरा के उच्च प्राथमिक विद्यालय सोनकी भाट का भवन कभी भी धराशाई हो सकता है। इससे उक्त विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं की जान जा सकती है अथवा गंभीर रूप से वे घायल हो सकते हैं। इसके अलावा दलकी नंबर पंचायत में भी एक विद्यालय डेढ़ दशक के अंदर ही जर्जर हो गया। शिक्षा क्षेत्र बेलहरी अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय बाबूबेल का भवन भी जर्जर हो चुका है, जो कभी भी ध्वस्त हो सकता है। इससे बड़ा हादसा हो सकता है। कुछ ऐसा ही हाल शिक्षा क्षेत्र बेरुआरबारी के प्राथमिक विद्यालय आदर का है। जहां मुख्य भवन वर्षों से जीर्ण शीर्ण है। उसमें मिड-डे-मील बनता है और वहीं बगल में बने अतिरिक्त दो कक्षों में एक से पांच तक की कक्षाओं का संचालन होता है। इसके अलावा अन्य कई विद्यालय ऐसे भी हैं जो अंदर से जर्जर हैं ¨कतु उनकी रंगाई कर बाहर से सुंदर बना दिया गया है। ऐसे विद्यालयों में बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। तेज आंधी या लगातार बारिश में ये विद्यालय कभी भी धराशाई हो सकते हैं। इसके बावजूद भी विभाग की ओर से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

--मानक की अनदेखी के चलते हैं ऐसे हालात

जिले में जर्जर हाल में पहुंचे विद्यालयों के निर्माण के समय मानक की अनदेखी की गई है। अन्यथा डेढ़ दशक पहले निर्मित विद्यालय जर्जर अवस्था में नहीं पहुंचते। जिले में ऐसे कई विद्यालय मिलते हैं जिनका निमार्ण डेढ़ दशक पहले हुआ था। इन विद्यालयों के निर्माण का जिम्मा प्रधानाध्यापकों का था जो प्रभारी थे। धन के लूट-खसोट के लिए ही एक प्रधानाध्यापक आधा दर्जन विद्यालयों के प्रभारी बनाए गए थे और वही विद्यालयों का निर्माण भी करा रहे थे। सरकार बदलने के बाद भी वह सिलसिला अभी भी जारी है। जिले में दर्जनों विद्यालय ऐसे भी हैं जिनकी चहारदीवारी कराने का भुगतान हो चुका है ¨कतु मौके पर अभी खुला मैदान है। जिसमें आवारा पशु घूमते रहते हैं और पूरे परिसर को गंदा कर देते हैं।

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