मऊ। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में तैनात वरिष्ठ सहायक (बाबू) राकेश श्रीवास्तव का वाराणसी में उपचार के दौरान निधन हो गया। वे मार्ग दुर्घटना में बुरी तरह घायल होकर कोमा में चले गये थे। उनके निधन का समाचार सुनते ही लोग शोक में डूब गये।
जानकारी के मुताबिक 02 जुलाई 2018 को सायं काल बाइक से राकेश श्रीवास्तव गोरखपुर वाराणसी हाइवे मार्ग पर जा रहे थे, तभी नगर के ढेकुलियाघाट पूल की ओर से तेजी से आ रहा लापरवाह बाइक चालक उनके बाइक में जबर्दस्त टक्कर मार दिया। जिससे राकेश श्रीवास्तव बुरी तरह घायल हो कर वहीं गिर पड़े। आनन फानन में लोग पुलिस को सूचना दें तथा स्थानीय लोगों की सहायता से उन्हें एक प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया जहां उनकी स्थिति देख उन्हें सीधे लोग वाराणसी ले गए। वह घटना के बाद से ही कोमा की स्थिति में थे। वाराणसी में उनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। चिकित्सक उनके बेहतरी के लिए लगे रहे लेकिन अंत में राकेश श्रीवास्तव सोमवार को प्रात: अपनी आंखें मूंदकर अपनों को अलविदा कह दुनिया से चलते बने।
उनके निधन का समाचार सुनकर बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय, जिला विद्यालय निरीक्षक, डायट के अधिकारी व कर्मचारी सहित, समस्त प्राथमिक व जूनियर प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य, शिक्षक सहित मुहल्ले के लोग शोकाकुल हो गये। उधर परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। अपने साथी कर्मचारी के निधन पर बीएसए कार्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों ने कार्यालय परिसर में शोक सभा आयोजित कर 2 मिनट का मौन रख राकेश श्रीवास्तव को श्रद्धांजलि दी।
उस लापरवाह बाइक चालू को क्या कहें जिसकी एक गलती से किसी का निधन हो गया। किसी के परिवार की खुशियां उजड़ गई। किसी की मांग की सिंदूर धूलने जा रहा है। कोई बच्चा अब अपने पापा से नहीं मिल पाएगा। उसकी एक गलती ने किसी की जिंदगी को 2 मिनट में जमींदोज कर दिया। लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी परिजनों व चिकित्सक राकेश श्रीवास्तव को नहीं बचा सके।
वैसे तो यही कहा जाएगा कि विधि के विधान में यही लिखा था लेकिन केवल यही सच्ची नहीं है। उस लापरवाह बाइक चालक द्वारा यातायात के नियमों का पालन कर या ऐसे मोड़ पर ऐसे ट्रैफिक वाले रास्ते पर नियम से बाइक चलाया होता तो आज शायद राकेश श्रीवास्तव हम लोग के बीच में हंसते और मुस्कुराते मिल जाते। इतना मिलनसार व्यक्ति के खोने का दर्द वह लापरवाह बाइक चालक क्या जाने लेकिन जो भी राकेश श्रीवास्तव से मिला वह राकेश श्रीवास्तव का हो लिया। इस दुख की घड़ी में भगवान परिजनों को साहस दे इसके सिवा कहने को और कुछ शब्द नहीं है। कृपया आप भी अगर लापरवाही पूर्वक बाइक चलाते हैं तो ऐसा ना करें क्योंकि जिंदगी बहुत प्यारी होती है रिश्तो में उसकी बहुत कीमत होती है।