विद्यालय में चलती है नवाचारों की श्रृंखला
महाराजगंज : घुघली विकास खंड का प्राथमिक विद्यालय बिरैचा आदर्श व्यवस्था का नमूना है। सबकुछ व्यवस्थित और समयबद्ध। दिल जीतने वाला नजारा। आठ बजे के स्कूल में प्रार्थना पौने आठ बजे। उसमें भी बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति। छुट्टी के समय वंदेमातरम, राष्ट्रगान और वह सबकुछ जो मन मोह ले, बेहद खूबसूरत। शायद यही कारण है कि यह विद्यालय आज प्राथमिक विद्यालयों के लिए नजीर बन चुका है। बेसिक शिक्षा विभाग से संचालित बिरैचा प्राथमिक विद्यालय अब प्रदेश के आदर्श विद्यालयों की श्रेणी में है। अमूमन बेसिक स्कूलों में हालात इस कदर बदतर हैं कि विद्याíथयों की तादाद नजर नहीं आती, लेकिन बिरैचा में तस्वीर बदली-बदली सी है। कक्षा एक से लेकर कक्षा पांच तक के विद्यार्थी यहां अध्ययनरत हैं। यहां सब कुछ समय सारिणी के अनुसार होता है। बच्चों की संख्या लगभग शत-प्रतिशत रहती है। विद्यालय की दिनचर्या अनुशासन से बंधी हुई है। पौने आठ बजते-बजते शिक्षक और बच्चे प्रार्थना के लिए एकत्र होते हैं और फिर राष्ट्रगान भी होता है। नैतिक कहानियां एवं प्रेरक प्रसंग के साथ आठ बजे शिक्षण कार्य प्रारंभ होता है। प्रात: 10.30 बजे मध्यावकाश के समय बच्चों को मेन्यू के अनुसार स्वच्छ तरीके से बनाकर स्वादिष्ट एवं पौष्टिक भोजन दिया जाता है। बच्चों को प्रतिदिन कक्षा कार्य एवं गृहकार्य दिया जाता है। कक्षाध्यापक द्वारा प्रतिदिन उसका निरीक्षण भी किया जाता है। माह के अंतिम शनिवार को उस माह में पड़ने वाले बच्चों का जन्मदिन भी हर्षोल्लास से मनाया जाता है। आठवीं घंटी खेल के लिए आरक्षित है। उसके बाद प्रतिदिन वन्देमातरम के बाद स्कूल बंद किया जाता है। बीते एक अगस्त को बीएसए जगदीश प्रसाद शुक्ल ने विद्यालय के आकस्मिक निरीक्षण में उत्कृष्ट शिक्षण कला एवं नवाचारों की श्रृंखला को देख अभिभूत हुए। उन्होंने बच्चों के अधिगम स्तर को परखा और संतुष्ट होने पर शिक्षक डा. धनंजय मणि त्रिपाठी को पुरस्कृत करने की घोषणा भी की।
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निकलता है बाल अखबार नवाचार:
शिक्षक डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से बच्चे नियमित रूप से मासिक बाल अ़खबार'नावाचार'निकालते है। जिसमें बच्चे माह भर की गतिविधियों को निकालते है।
---------- 'इको क्लब'के माध्यम से होती है पर्यावरण की रखवाली
इस विद्यालय में इको क्लब का गठन कर बच्चों के साथ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पेड़ लगाकर उसकी सुरक्षा करते है। गांव में वे बच्चों की टोली बनाकर खुले में शौच करने के लिए गांव के लोगों को मोटिवेट करते है। इसका सीधा प्रभाव भी दिख रहा है। गांव में खुले में शौच पर पूरी तरह नियंत्रण लग चुका है।
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बाल संसद'का गठन कर विद्यालय में है लोकतांत्रिक प्रक्रिया
विद्यालय में बाल संसद का गठन के बच्चों को लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति जागरूक करने पर बल दिया जाता है। इस संदर्भ में डॉ धनंजय मणि त्रिपाठी कहते है कि शुरुआत से ही बच्चों के मन में लोकतंत्र के प्रति जागरूक किया जाता है।
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चलती है एक्स्ट्रा क्लास
पढ़ाई में कोई भी बच्चा पीछे न रह जाए। यदि कहीं कोई समस्या है और किसी विषय में बच्चा कमजोर है तो इसके लिए अतिरिक्त कक्षाएं लगती हैं। इसमें शिक्षक डा. धनंजय मणि त्रिपाठी मनोयोग से इसमें जुटते हैं।