अनुकंपा कोटे की नियुक्ति में देरी पर हाईकोर्ट गंभीर
हिन्दुस्तान टीम, इलाहाबाद । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मृतक आश्रित कोटे की नियुक्तियों में अनावश्यक देरी को गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा से कारण स्पष्ट करने को कहा है कि क्यों न कोर्ट सामान्य समादेश जारी कर यह व्यवस्था करे।
कोर्ट ने कहा कि क्यों न अनुकंपा कोटे की अर्जी 30 दिन के भीतर तय करना अनिवार्य हो। क्यों न मृतक आश्रित की नियुक्ति अर्जी निर्धारित अवधि में तय न करने वाले अधिकारी पर देरी के लिए प्रतिदिन 200 रुपये हर्जाना आवेदक को दिलाया जाए। आवेदक को यह रकम सरकार भुगतान करे और देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारी से वसूले। साथ ही जहां अवधि में छूट के लिए प्रकरण राज्य सरकार को भेजा गया हो। उस पर भी प्रेषित करने की तिथि के 30 दिन के भीतर आदेश हो। कोर्ट ने प्रमुख सचिव से कहा कि अर्जी नियमानुसार नहीं है तो खामियां दुरुस्त करने के लिए एक सप्ताह में आवश्यक कागजात दाखिल करने का समय क्यों न दिया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने पीयूषा सिंह की याचिका पर दिया है। याची के नेहरू इंटर कॉलेज पारनपुर, मऊ में इतिहास के प्रवक्ता रहे ससुर तेज बहादुर सिंह के स्थान पर आश्रित कोटे में नियुक्ति के लिए 22 फरवरी 2018 को अर्जी दी। प्रबंध समिति ने याची के पक्ष में प्रस्ताव पारित कर भेजा। याची ने इस संबंध में अधिकारियों से मुलाकात की तो बताया गया कि उच्च अधिकारी से दिशा-निर्देश मांगे गए हैं। याची ने प्रत्यावेदन भी दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इस पर यह याचिका दाखिल हुई। याची का कहना है कि उसके साथ उसकी सास व दो बच्चे रह रहे हैं। वे मृतक के आश्रित है। कोर्ट ने कहा कि विधवा पुत्रवधू भी परिवार में शामिल है लेकिन अधिकारी नियुक्ति की बजाए उसे अनावश्यक रूप से परेशान कर रहे हैं।