जुलाई में दो दिन ही खुला रावतपुर का विद्यालय
शासन भले ही गरीब बच्चों को शिक्षित करने को करोड़ों रुपये हर वर्ष खर्च कर रहा है पर हालात सुधर नहीं रहे हैं।...
उसावां : शासन भले ही गरीब बच्चों को शिक्षित करने को करोड़ों रुपये हर वर्ष खर्च कर रहा हो, लेकिन स्थानीय स्तर पर हालात नहीं सुधर रहे हैं। किसी विद्यालय में शिक्षक-शिक्षिकाएं समय पर विद्यालय नहीं पहुंचते तो कहीं समय पर विद्यालय खुलने पर बच्चे इधर-उधर खेलते नजर आते हैं। समय से पहले ही विद्यालयों का बंद होना आम बात हो चुकी है। विकास क्षेत्र उसावां के परिषदीय विद्यालयों की स्थिति दावों से बिल्कुल जुदा है। शिक्षक तैनात न होने की वजह से विद्यालयों में ताला लगा रहता है। तमाम विद्यालयों में बच्चों को मध्याह्न भोजन तक नहीं खिलाया जाता। यहां का रावतपुर का प्राथमिक विद्यालय जुलाई महीने में महज दो ही दिन खुला है। ग्रामीणों ने गई बार शिकायत भी की, लेकिन कोई अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है। न तो किसी शिक्षक ने विद्यालय खोला और न ही कोई अधिकारी निरीक्षण करने पहुंचा। परिसर पशुशाला जैसा नजर आता है। फोटो 07 बीडीएन 03
रावतपुर के प्राथमिक विद्यालय की स्थिति पर कोई अधिकारी ध्यान नहीं दे रहा है। जुलाई महीने में दो या तीन ही विद्यालय खोला गया है। बच्चों को कहां पढाएं समझ नहीं आ रहा।
- मुनी पाल फोटो 07 बीडीएन 04
अन्य विद्यालयों में बच्चों को बहुत सी सुविधाएं दी जा रही हैं। हमारे बच्चों को वह सुविधाएं नहीं मिल पातीं। विद्यालय हमेशा बंद ही रहता है। कोई शिक्षक विद्यालय नहीं आता।
जुलाई महीने में मात्र दो दिन ही विद्यालय खोला गया है। बच्चों को लेकर ¨चता बनी रहती है। समझ नहीं आता बच्चों को कहां पढ़ाएं। उच्चाधिकारियों को निस्तारण करना होगा।
गांव का विद्यालय होना या न होना बराबर ही है। विद्यालय में हमेशा ताला लगा रहता है। पढ़ने की बजाय बच्चे घर पर खेलते रहते हैं। इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा।
खंड शिक्षा अधिकारी से जानकारी की जाएगी। लापरवाही बरतने वाले विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई होगी। शिक्षण कार्य किसी भी सूरत में प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
- राम मूरत, प्रभारी बीएसए