बस्ती : जनपद के डा.सर्वेष्ट मिश्र को मिलेगा राष्ट्रपति पुरस्कार
जागरण संवाददाता, बस्ती: जनपद के पहले स्मार्ट स्कूल प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट के प्रधानाध्यापक डा. सर्वेष्ट मिश्र का चयन इस बार प्रदेश से राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए हुआ है। प्रदेश के एकमात्र शिक्षक को यह पुरस्कार 5 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद द्वारा नई दिल्ली में प्रदान किया जाएगा। उन्हें मात्र 39 वर्ष की उम्र में यह सम्मान मिल रहा है।1 डा. सर्वेष्ट ने यह उपलब्धि काफी कठिन परिश्रम से प्राप्त की है। विद्यालय को स्मार्ट बनाने के लिए उन्होंने काफी प्रयास किया। डा. सर्वेष्ट कहते हैं कि जुलाई 2016 में जब वह इस विद्यालय में बतौर प्रधानाध्यापक नियुक्त हुए तो विद्यालय में मात्र 19 छात्र थे। विद्यालय में न पर्याप्त शिक्षक संख्या थी और न ही संसाधन। भवन की भी हालत काफी खराब थी। संसाधन विहीन विद्यालय में बच्चों की संख्या बढ़ाना और व्यवस्था में सुधार सबसे बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती को स्वीकार किया और बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए घर-घर संपर्क शुरू किया। अभिभावकों को भरोसा दिलाया कि वह अपने बच्चों को हमारे विद्यालय में पढ़ाएं, यदि कान्वेंट से कम शिक्षा स्तर हो तो कभी भी अपने बच्चे को ले जा सकते हैं। अभिभावकों ने भरोसा किया तथा 19 बच्चों वाले विद्यालय में छात्र संख्या माह भीतर 155 हो गई। वर्ष 2017 में छात्र संख्या 211 हुई। 2018 में छात्र संख्या 235 है। बच्चों को सरकार से अनुमन्य पुस्तकें, ड्रेस, बैग, जूता-मोजा, स्वेटर आदि की व्यवस्था समय से की गई। इसके अलावा बच्चों को जनसहयोग से हाउस वार ड्रेस, टाई, बेल्ट, आइडीकार्ड, स्टेशनरी की व्यवस्था की गई।जागरण संवाददाता, बस्ती: जनपद के पहले स्मार्ट स्कूल प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट के प्रधानाध्यापक डा. सर्वेष्ट मिश्र का चयन इस बार प्रदेश से राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए हुआ है। प्रदेश के एकमात्र शिक्षक को यह पुरस्कार 5 सितंबर को राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद द्वारा नई दिल्ली में प्रदान किया जाएगा। उन्हें मात्र 39 वर्ष की उम्र में यह सम्मान मिल रहा है।1 डा. सर्वेष्ट ने यह उपलब्धि काफी कठिन परिश्रम से प्राप्त की है। विद्यालय को स्मार्ट बनाने के लिए उन्होंने काफी प्रयास किया। डा. सर्वेष्ट कहते हैं कि जुलाई 2016 में जब वह इस विद्यालय में बतौर प्रधानाध्यापक नियुक्त हुए तो विद्यालय में मात्र 19 छात्र थे। विद्यालय में न पर्याप्त शिक्षक संख्या थी और न ही संसाधन। भवन की भी हालत काफी खराब थी। संसाधन विहीन विद्यालय में बच्चों की संख्या बढ़ाना और व्यवस्था में सुधार सबसे बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती को स्वीकार किया और बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए घर-घर संपर्क शुरू किया। अभिभावकों को भरोसा दिलाया कि वह अपने बच्चों को हमारे विद्यालय में पढ़ाएं, यदि कान्वेंट से कम शिक्षा स्तर हो तो कभी भी अपने बच्चे को ले जा सकते हैं। अभिभावकों ने भरोसा किया तथा 19 बच्चों वाले विद्यालय में छात्र संख्या माह भीतर 155 हो गई। वर्ष 2017 में छात्र संख्या 211 हुई। 2018 में छात्र संख्या 235 है। बच्चों को सरकार से अनुमन्य पुस्तकें, ड्रेस, बैग, जूता-मोजा, स्वेटर आदि की व्यवस्था समय से की गई। इसके अलावा बच्चों को जनसहयोग से हाउस वार ड्रेस, टाई, बेल्ट, आइडीकार्ड, स्टेशनरी की व्यवस्था की गई।