इन बच्चों से सीखें पर्यावरण संरक्षण
परिषदीय विद्यालय अच्छी शिक्षा के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में यदि अनुकरणीय योगदान करें तो इस पर ध्यान जाना स्वाभाविक है। स्वस्थ पर्यावरण की जीवन में उपयोगिता की सीख यदि बचपन में ही बच्चों को मिल जाए तो समाज को बेहतर बनाने में सहयोग जरूर मिलेगा।...
बस्ती: परिषदीय विद्यालय अच्छी शिक्षा के साथ ही पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में यदि अनुकरणीय योगदान करें तो इस पर ध्यान जाना स्वाभाविक है। स्वस्थ पर्यावरण की जीवन में उपयोगिता की सीख यदि बचपन में ही बच्चों को मिल जाए तो समाज को बेहतर बनाने में सहयोग जरूर मिलेगा। ऐसा ही एक विद्यालय है सदर विकास खंड का परसाजागीर। एक ही परिसर में स्थित प्राथमिक और जूनियर विद्यालय के बच्चे न सिर्फ मन लगाकर पढाई करते हैं, बल्कि बागवानी भी सबसे बेहतरीन करते हैं। उनके इस कार्य में प्रेरणा का कार्य करते हैं विद्यालय के अध्यापक और अभिभावक। विद्यालय परिसर में पहुंचते ही चारों तरफ सुव्यवस्थित हरियाली आपका स्वागत करती है। विशाल परिसर में परंपरागत पेड़ पौधों के अलावा फल, फूल, औषधीय व छायादार वृक्ष बड़ी संख्या में मौजूद है। पौधरोपण से लेकर साफ-सफाई, खाद, पानी, सुरक्षा और रख- रखाव की जिम्मेदारी का निर्वहन बच्चे अध्यापक और अभिभावक मिलकर करते हैं।
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ऐसे हुई पौधरोपण की शुरुआत
विद्यालय ने पर्यावरण के क्षेत्र में मिशाल कायम करने के लिए लंबे समय तक प्रयास किया। वर्ष 2011 में जूनियर विद्यालय पर तैनात सहायक अध्यापक शिव प्रसाद ने पौधरोपण की योजना बनाई तो तत्कालीन दोनों विद्यालयों के प्रधानाध्यापक साथ देने को तैयार हो गए। बच्चों से पौधरोपण कराया गया। दो वर्ष बाद यह कार्य अभियान के तौर पर किया जाने लगा। जूनियर विद्यालय की प्रधानाध्यापक उíमला मिश्रा, रामशंकर पांडेय, कृष्ण कुमार पांडेय, प्रीती श्रीवास्तव, मुनिराम वर्मा व प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापक आंचल पाल, अभिषेक यादव, राजेश चौधरी, अवंतिका, अख्तरून्निशा, संज्ञा, अनुपम और पेड़- पौधों के विशेषज्ञ राम चरित्र की अगुवाई में बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण के सपने को साकार किया है।
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दुर्लभ पेड़-पौधों को दी गई तरजीह
विद्यालय परिसर में मौलिश्री, चितवन, साइकस, पाम, यूरेका पाम, अशोक, वाटल ब्रश, डृसिना, चमेली, यूफोरविया, बडी चांदनी, लाल चंदन, कपूर, मुसंडा, स्वर्णचंपा, कमल, वंसत मालसी, कैक्टस, मोर पंख, दिन का राजा, कैलेंडरा, रंग बदल, आम, आंवला, नीबू, बेल, अमरूद, पपीता, केला, नीम, गूरल, बरगद, पीपल, कदम, पाकड, हर¨सगार, गुड़हल, रबर प्लांट, गुलाब, चाइनीज पाम, क्रिसमस ट्री, एलोवेरा सहित दौ सौ से अधिक फल, फूल, छायादार और औषधीय पेड़ पौधे मौजूद हैं।
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बच्चे तैयार करते हैं गुलदस्ता
विद्यालय पर जब भी कोई कार्यक्रम आयोजित होता है तो अतिथियों के लिए गुलदस्ता खरीद कर नहीं लाया जाता है, बल्कि परिसर में मौजूद फूल- पत्तियों से बच्चे गुलदस्ता, माला आदि तैयार करते है।
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जिम्मेदारी का एहसास करना प्राथमिकता
जूनियर विद्यालय की प्रधानाध्यापक उíमला मिश्रा ने कहा कि बेहतर शिक्षण के साथ पर्यावरण के क्षेत्र में विद्यालय को आगे बढ़ाने के लिए जनसहयोग व सामुदायिक सहभागिता के साथ काम किया जा रहा है। छात्र- छात्राओं के भीतर पर्यावरण और प्रकृति के प्रति उनकी जिम्मेदारी का बोध कराना हमारी प्राथमिकता है। बिना पर्यावरण की शिक्षा दिए हम बच्चों का पूर्ण विकास नहीं कर सकते। बच्चों के माध्यम से समाज को संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है।