गजरौला की प्राथमिक शिक्षा भगवान भरोसे
विकास खंड क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा बेहतर स्थिति में नहीं है। कहीं विद्यालय में पढ़ने को मात्र एक ही बच्चा है तो कही शिक्षक-शिक्षिकाओं का अता-पता नहीं है। पूरा विद्यालय ही शिक्षा मित्रों के सहारे चल रहा है। यही नहीं स्कूलों में अभी शत-प्रतिशत बच्चों तक किताबें भी नहीं पहुंच सकी हैं। यह तस्वीर गुरुवार को तब सामने आई जब स्कूल लाइव अभियान के तहत कुछ विद्यालयों में पहुंचकर पड़ताल की गई।...
गजरौला : विकास खंड क्षेत्र में प्राथमिक शिक्षा बेहतर स्थिति में नहीं है। कहीं विद्यालय में पढ़ने को मात्र एक ही बच्चा है तो कही शिक्षक-शिक्षिकाओं का अता-पता नहीं है। पूरा विद्यालय ही शिक्षा मित्रों के सहारे चल रहा है। यही नहीं स्कूलों में अभी शत-प्रतिशत बच्चों तक किताबें भी नहीं पहुंच सकी हैं। यह तस्वीर गुरुवार को तब सामने आई जब स्कूल लाइव अभियान के तहत कुछ विद्यालयों में पहुंचकर पड़ताल की गई।
गुरुवार को खादगूर्जर रोड के प्राथमिक विद्यालय फोंदापुर, पूर्व माध्यमिक विद्यालय, वारसाबाद प्राथमिक विद्यालय, शहबाजपुर माफी, खादगूजर के स्कूलों पर पहुंच कर जायजा लिया गया तो प्राथमिक शिक्षा की तस्वीर निराशा जनक सामने आई। फोंदापुर में एक ही स्थान पर प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं। पूर्वान्ह दस बजे यहां मिडडे मिल के वितरण को इंटरवेल तो हुआ लेकिन सवा 11 बजे तक बच्चों के हाथों में खाली प्लेट ही थीं, जिन्हें लिए वह इधर-उधर भटकते घूम रहे थे। दोनों स्कूलों में उपस्थित बच्चों की संख्या 70 के लगभग थी, लेकिन पढ़ाने को एक भी शिक्षक-शिक्षिका मौजूद नहीं था। पूर्व माध्यमिक में नौनहालों को एक चुतर्थ श्रेणी कर्मचारी संभाल रहा था तो प्राथमिक में महिला शिक्षा मित्र मौजूद थी।
वारसाबाद में भी महिला शिक्षिका मित्र ही सभी बच्चों को एक कक्ष में बैठाए पढ़ा रही थी। यहां भी कोई अध्यापक नहीं था। यहां पुस्तक, जूतों, ड्रेस का भी अभी तक शत प्रतिशत वितरण नहीं हुआ था, लेकिन शिक्षा मित्र ने बच्चों को पीएम व सीएम के नाम व पद ठीक से रटाने के साथ समझा भी रखे गए थे। शहबाजपुर माफी में मात्र एक बालिका उपस्थित थी, जिसे मात्र शिक्षा मित्र ही पढ़ा रही थी। शिक्षिका यहां भी नदारद थी। नदारद स्टाफ के बारे में बताया गया कि वह किसी स्टाफ बैठक में भाग लेने गए हुए हैं। यहां भवन भी जर्जर हालत में पाया गया। फर्श उखड़ा था तो छत का लेंटर चटक रहा था। खादगूर्जर स्कूल में भी शिक्षा मित्र ही बच्चों की रोकथाम करती मिली। यहां की प्रधान अध्यापिका एक व्यक्ति के द्वारा अभद्रता करने के मामले को लेकर स्कूल नहीं पहुंची थी।