मदद से मिटा दी बदहाली, संवारा शिक्षा का मंदिर
संवाद सूत्र, अमौली : बदहाली दूर करने के लिए सरकार से आस लगाने वालों के लिए प्राथमिक विद्यालय ब...
संवाद सूत्र, अमौली : बदहाली दूर करने के लिए सरकार से आस लगाने वालों के लिए प्राथमिक विद्यालय बबई एक उदाहरण हैं। ऐसा उदाहरण जहां एक प्रधानाध्यापक की पहल से मदद के लिए हाथ बढ़े और तस्वीर जुदा नजर आने लगी। टाट पट्टी की जगह फर्नीचर ने ले ली तो जर्जर और बदहाल दीवारों का रंग-रूप बदल गया। आज ये किसी निजी स्कूल से मुकाबला करने में सक्षम हैं। छात्रों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है।
स्कूल की दशा और दिशा बदलने वाले ये शख्स हैं प्रधानाध्यापक देवकांत तिवारी। वह बताते हैं कि 25 अक्टूबर 2016 को जब वह स्कूल में आए तो बच्चों को टाट-पट्टी पर पढ़ाई करते देख पीड़ा हुई। सरकारी मदद नहीं मिली तो लोगों से मदद की गुहार लगाई। दिल्ली से अपने पैतृक गांव आए व्यवसायी राजेंद्र शुक्ला इस पहल से प्रभावित हुए और तीन लाख रुपये की मदद की। अपने वेतन से 80 हजार रुपये मिलाए और सहायक अध्यापिका ने 20 हजार रुपये दिए। इससे विद्यालय का रंग-रोगन, फर्नीचर सहित अन्य व्यवस्था कराई गई। ग्राम प्रधान ने भी इस पहल में साथ दिया और विद्यालय की बाउंड्रीवाल एवं गेट का निर्माण कराया।
छात्र संख्या में बढ़ोतरी
दो साल पहले जहां विद्यालय में 83 छात्र-छात्राएं हुआ करते थे। वर्तमान में इनकी संख्या 140 तक पहुंच गई हैं। गेट के अंदर दाखिल होते ही यह किसी निजी स्कूल से कम नहीं लगता। दीवारों पर उकेरी गई आकृतियां और प्रेरणादायक उक्तियों के बीच छात्रों के लिए स्लोगन भी लिखे गए हैं।
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दिनचर्या में किए गए बदलाव
- प्रतिदिन गणवेश में होती है प्रार्थनासभा और शिक्षकों का ज्ञानोपदेश।
- सूचना बोर्ड में प्रतिदिन कक्षावार हाजिरी तत्काल चढ़ा दी जाती है।
- बच्चे के न पहुंचने पर अभिभावक से मोबाइल पर संपर्क किया जाता है।
- इनोवेटिव प्रोग्राम के तहत बच्चों को शिक्षा पर दिया जा रहा जोर।
- नवोदय प्रवेश परीक्षा, छात्रवृत्ति आदि के लिए अतिरिक्त क्लासेज की सुविधा।