गोरखपुर : बदतर हैं हालात, कैसे पढ़ेंगे-कैसे बढ़ेंगे?कई स्कूलों के भवन भी बेहद जर्जर, दैनिक जागरण ने ‘आन दि स्पाट’ की प्राथमिक विद्यालयों की पड़ताल
बदहाली
बच्चों के पास जूता-मोजा न ही ड्रेस-कापी किताब
जागरण टीम गोरखपुर : सूबे में निजाम बदला तो स्कूलों की राह पर ‘सब पढ़ें-सब बढ़ें’ का नारा बड़े जोर-शोर से गूंजा। मगर नई सरकार में भी हुक्मरानों का अंदाज बदला न ही इंतजाम। सरकार के तमाम प्रयासों और भरपूर इमदाद के बावजूद, प्राथमिक शिक्षा के हालात आज भी निराश करने वाले हैं। सभी स्कूली बच्चों को अब तक न यूनिफार्म मिल पाई है, न ही कापी-किताब। क्लास रूम में डेस्क-बेंच, टाट-पट्टी की भी व्यवस्था न होने के चलते बच्चे आज भी कई जगह बोरा बिछाकर बैठने को मजबूर हैं। शौचालय, हैंडपंप, बाउंड्री और भवन की हालत ज्यादातर जगहों पर जर्जर है। इंग्लिश मीडियम की तर्ज पर बनाए गए इक्का-दुक्का माडल स्कूल भी दूसरे प्राइमरी स्कूलों को प्रेरित नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे हालात में शिक्षा की गुणवत्ता में किसी भी तरह के सुधार की कल्पना बेमानी साबित हो रही है। 1‘दैनिक जागरण’ की टीम ने गुरुवार को गोरखपुर-बस्ती मंडल के सभी जिलों में एक साथ प्राथमिक स्कूलों पर मौजूद इंतजामात की पड़ताल की। ‘आन द स्पाट’ नाम के इस अभियान में प्राथमिक विद्यालयों पर बच्चों की संख्या, शिक्षकों की उपस्थिति, मिड-डे-मील से लेकर उनके ड्रेस, कापी-किताब और जूते-मोजे तक की व्यवस्था देखी गई। बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से चहारदीवारी और विद्यालय भवन का भी जायजा लिया गया। शौचालय, हैंडपंप के साथ विद्यालय में साफ-सफाई के इंतजाम पर भी नजर दौड़ाई गई। शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार के दावों की हकीकत जानने के लिए बच्चों से उनके मुताबिक सवाल भी किए गए। 1कई सवालों और जिज्ञासाओं के साथ स्कूलों पर गई जागरण टीम पड़ताल के बाद कार्यालय पहुंचकर जिस नतीजे पर पहुंची, वह संतोषजनक नहीं था। छात्र-छात्रओं के पंजीकरण को छोड़ दें तो ज्यादातर स्कूलों में बच्चे ड्रेस, कापी, किताब, जूता, मोजा से लैस नहीं थे। हैंडपंप, शौचालय, बिजली, मिड-डे-मील, गैस कनेक्शन, बाउंड्री, भवन, साफ-सफाई जैसा कोई भी एक बिंदु ऐसा नहीं मिला, जिस पर किसी भी विद्यालय को शत-प्रतिशत अंक दिया जा सके। : देवरिया के लाहिलपार उर्फ रतनपुरा प्राथमिक विद्यालय में भवन की मरम्मत होने के कारण पीपल के पेड़ के नीचे जमीन पर बैठे बच्चे ’ घनश्याम रावत