जर्जर भवनों में पढ़ रहे छात्र, आफत में जान
मरम्मत के अभाव में 150 परिषदीय विद्यालय जर्जर स्थिति में पहुंच गए हैं। इनमें पढ़ने वाले बच्चों के जीवन पर हर समय खतरा मंडराता रहता है। डेढ़ दर्जन विद्यालय ऐसे हैं जिनका जीर्णोद्धार नहीं किया गया तो वे किसी क्षण बच्चों की जान ले सकते हैं।...
जागरण संवाददाता, चंदौली : मरम्मत के अभाव में 150 परिषदीय विद्यालयों के भवन जर्जर स्थिति में पहुंच चुके हैं। इनमें पढ़ने वाले बच्चों के जीवन पर हर समय खतरा मंडराता रहता है। डेढ़ दर्जन विद्यालय ऐसे हैं जिनका जीर्णोद्धार नहीं किया गया तो वे किसी क्षण जमींदोज हो सकते हैं। हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग ने निदेशालय को इनकी सूची भेज दी है। वहीं मरम्मत व जीर्णोद्धार के लिए ग्रामीण अभियंत्रण सेवा से प्रस्ताव बनवाना शुरू कर दिया है।
नौ ब्लाकों में 150 विद्यालय काफी पुराने हो गए हैं। इनमें किसी की छत खराब है तो भवन की दीवारें चप्पड़ छोड़ रही हैं। कहीं फर्श टूट गए हैं। भवनों की स्थिति देखते ही लगता है कि यह कभी गिर सकता है। ऐसे विद्यालयों में ही छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कभी-कभी छात्रों के सिर पर छत का प्लास्टर टूटकर गिर जाता है। इससे हर समय भयावह स्थिति बनी रहती है। विद्यालय भवन जर्जर होने के कारण बच्चे उनमें पढ़ना मुनासिब नहीं समझते लेकिन शिक्षकों के दवाब में उन्हें वहां पढ़ना पड़ रहा है। पिछले दिनों खंड शिक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट पर बीएसए भोलेंद्र प्रताप ¨सह ने मरम्मत व जीर्णाेद्धार के लिए विद्यालयों का सर्वे कराया तो 150 ऐसे विद्यालय निकले। उन्होंने इसकी सूची तत्काल शासन को भेज दी। निदेशालय के निर्देश पर मरम्मत और जीर्णोद्धार के लिए आरईएस से स्टीमेट तैयार कराया जा रहा है। विभाग की मानें तो तीन साल से यह प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा है लेकिन इस संबंध में कोई निर्णय नहीं हो सका है। 1263 विद्यालय हैं 30 वर्ष पुराने जिले में 993 प्राथमिक और 470 पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं। इनमें 200 विद्यालय दस वर्ष के भीतर बने। नए विद्यालयों की मरम्मत की जिम्मेदारी दस वर्ष तक कार्यदाई संस्था की होती है। इससे कांशीराम शहरी आवास योजना में बने एक विद्यालय की छत टपकने पर उसकी मरम्मत कराई गई। जबकि अन्य 1263 विद्यालयों की मरम्मत के लिए बजट की जरूरत है। दूसरे कक्षों में पढ़ाने का निर्देश
150 जर्जर विद्यालयों में छात्रों को पढ़ाने की इजाजत नहीं है। बीएसए ने पहले ही निर्देश जारी कर दिए हैं कि जो विद्यालय एकदम जर्जर हो चुके हैं उनमें बच्चों को न पढ़ाया जाए। उन्हें दूसरे कक्ष में पढ़ाएं। बच्चे जर्जर भवनों में खेलने का भी प्रयास करें तत्काल वहां से दूर किया जाए।
मरम्मत व जीर्णोद्धार के लिए 150 विद्यालयों की सूची निदेशालय भेजी गई है। इसका बजट तभी स्वीकृत होगा जब यहां से विद्यालयवार स्टीमेट जाएगा। वैसे बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। इसके लिए संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को निर्देश दिया गया है।
- भोलेंद्र प्रताप ¨सह, बीएसए