अलीगढ़ : सरकारी जड़कन तोड़कर बनाए मॉडल स्कूल
मॉडल स्कूल बनाने के लिए लड़ी जंग। खुद अपने पास से खर्च की धनराशि।...
अलीगढ़ : सरकारी स्कूल का नाम आते ही टाट पट्टी पर बैठे चंद दीन-हीन बच्चों का प्रतिबिंब घूम जाता है। पर, यहीं कुछ प्रधानाध्यापकों ने सरकारी जकड़न को तोड़ते हुए मॉडल स्कूल बना दिया है। ये स्कूल राष्ट्रीय फलक पर टक्कर लेते दिखते हैं। यहां सफाई है और हरियाली भी। सभी सुख-सुविधाएं भी वैसी, मानों कोई निजी स्कूल हो। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे उत्कृष्ट स्कूलों की श्रेणी में रखकर सम्मान समारोह भी किया।
सरकार ने दिया सर्वश्रेष्ठ स्कूल का खिताब
प्राथमिक विद्यालय पिसावा 2006 में जब सुबोध शर्मा प्रधानाध्यापक बने तो न शौचालय था, न ही बिजली-पानी की व्यवस्था। 119 बच्चे थे, पर आते 50-60 ही। भाग-दौड़ से शौचालय तो बना, पर बिजली-पानी के लिए खुद ही जोर लगाना पड़ा। 200 से ज्यादा पौधे खुद लगवाए। रेड कारपेट, फर्नीचर व स्मार्ट क्लासेस बनवाईं। कुछ खुद, कुछ जेब से। छात्र संख्या भी 355 पहुंच गई। 2015-16 में सरकार ने जिले का सर्वश्रेष्ठ स्कूल का पुरस्कार दिया। यहां के कई बच्चे नवोदय में दाखिला पा चुके हैं।
पौधों से सजाया स्कूल
प्राथमिक विद्यालय रोहिना सिंहपुर
अक्टूबर 2012 में प्रधानाध्यापक राजकुमार पहुंचे तो 80 बच्चे ही मिले। आते तो 50 ही थे। राजकुमार ने निजी प्रयासों से बाउंड्रीवाल बनवाई, गेट भी लगवाया। खुद ही सबमर्सिबल लगवाया। स्कूल में झाड़ू भी लगाई। पैसे देकर शौचालय साफ कराए। छात्र-छात्राओं के शौचालय अलग कराए। पौधों से स्कूल को सजाया। स्टाफ ने वॉल पेंटिंग कराई। स्कूल में 200 बच्चे हैं।
खुद खर्च किए सवा लाख
प्राथमिक विद्यालय भोजपुर 2012 में पूनम सेंगर प्रधान अध्यापिका बनीं तो चारदीवारी छोड़िये, किसी के बैठने तक का इंतजाम न था। 90 में से 40-50 बच्चे ही पढ़ने आते थे। अभिभावकों की काउंसिलिंग से आंकड़ा 180 पहुंचा। चारदीवारी खुद बनवाई। गेट भी ऊंचा कराया। पाच पॉम ट्री समेत तमाम पौधे जेब से लगवाए। शौचालय भी अलग-अलग बनवाए। पानी, बिजली व फर्नीचर की व्यवस्था खुद कराई। वे एक से सवा लाख रुपये खर्च कर चुकी हैं। यहां पहले गरीब बच्चे ही आते थे, अब सभी आ रहे हैं।
मंजूर हो चुकी हैं स्मार्ट क्लास
पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय दोधपुर गजाला नसरीन अप्रैल 2016 में प्रधानाध्यापिका बनीं तो फर्श तक कच्चा था। पानी का पंप लगवाया। 2007 से प्रार्थना पत्र दे-देकर बिजली लगवाई। बिजली सुचारु करने को 7000 रुपये बिल खुद चुकाए। इंटर लॉकिंग लगवाए। फर्नीचर चाक-चौबंद किया। शौचालय खुद ठीक कराया। वाशबेसिन लगवाया। विज्ञान लैब बनवाई। स्कूल में पर्दे भी पड़े हैं। यह नगर क्षेत्र का मॉडल स्कूल है। यहां स्मार्ट क्लास मंजूर हो चुकी हैं।
अटैचमेंट के शिक्षकों से चल रहे हैं मॉडल स्कूल
जिले में स्थापित चारों मॉडल स्कूल अटैचमेंटों के शिक्षकों से चलने के लिए मजबूर हैं। इसका मुख्य कारण अभी तक आयोग से अध्यापकों की नियुक्ति नहीं होना है। मानकों के हिसाब से अभी तक शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। प्रधानाचायरें की नियुक्ति न होने से अध्यापकों को ही प्रधानाचार्य प्रभारी बना दिया गया।
जिले में हैं सिर्फ चार स्कूल
जिले में चार मॉडल इंटर कालेजों में चंडौस क्षेत्र के जहराना, अतरौली के बड़ेसरा, खैर के खेड़ा सत्तू तथा इगलास क्षेत्र के टमोटिया में पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय मॉडल इंटर कॉलेज शामिल हैं।
इन कालेज में किया था अटैचमेंट
शिक्षकों को विभिन्न राजकीय कालेजों से अटैच किया गया है। इस सत्र में इन कालेजों में कक्षा छह, नौ व 11 की कक्षाएं संचालित कराई जा रहीं हैं। जहराना में 106 बच्चों पर एक शिक्षक की नियुक्ति व तीन अटैचमेंट के शिक्षक हैं। बडे़सरा में 146 बच्चों पर अटैचमेंट के चार शिक्षक हैं।