शिक्षामित्रों को राहतः शिक्षक भर्ती के कटऑफ अंको में कमी कर सकती है योगी सरकार
शासन ने पहले शिक्षामित्रों को अधिकतम 25 अंक देने का वादा किया था। वहीं, उम्र सीमा छूट पर नियुक्ति के समय निर्णय करने का आश्वासन दिया गया था। ...
इलाहाबाद (जेएनएन)। परिषदीय स्कूलों की सहायक अध्यापक की नियुक्ति से पहले शिक्षामित्रों को वेटेज अंक व उम्र सीमा में छूट भी तय करनी है। रिजल्ट में कम अभ्यर्थियों के सफल होने से वेटेज अंक का लाभ किस तरह से मिलेगा यह स्पष्ट नहीं है लेकिन, उम्र सीमा में छूट से जरूर शिक्षामित्रों को राहत मिलेगी। शासन ने पहले शिक्षामित्रों को अधिकतम 25 अंक देने का वादा किया था। वहीं, उम्र सीमा छूट पर नियुक्ति के समय निर्णय करने का आश्वासन दिया गया था।
शिक्षक भर्ती में जिलों को वरीयता व तय पदों से अधिक अभ्यर्थियों के उत्तीर्ण होने पर शिक्षामित्रों के वेटेज अंक अन्य अभ्यर्थियों को पीछे छोडऩे में सहायक बनते लेकिन, रिजल्ट से गुणवत्ता अंक का लाभ मिलने की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। हालांकि शासन शीर्ष कोर्ट के निर्देश का अनुपालन जरूर करेगा, पर लाभ किस तरह से देगा इस पर सभी की निगाहें टिकी हैं। माना जा रहा है कि परिषद को नियुक्ति के शासनादेश के साथ ही इन दोनों मामलों से पर्दा उठेगा।
सफल अभ्यर्थियों को लेकर कई दावे
शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले अभ्यर्थियों को लेकर तरह-तरह के दावे हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि करीब बीस हजार से अधिक शिक्षामित्र उत्तीर्ण हुए हैं। कुछ इनकी संख्या और कम बता रहे हैं। यह भी चर्चा है कि कुछ वर्गों के अधिकांश अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं, नियुक्ति में आरक्षण लागू होने पर उन सभी की तैनाती हो पाने पर संशय है, जबकि दूसरे वर्गों के तमाम पद खाली रह जाएंगे।
अंक प्रतिशत घटने से भी सीटें भरने पर संशय
अभ्यर्थी रिजल्ट तैयार होने के समय से ही तमाम तरह की अटकलें लगा रहे हैं। अब कहा जा रहा है कि यदि सरकार कोर्ट से पांच फीसदी अंक घटा लेने में सफल होती है तो भी सभी सीटें नहीं भर रही हैं, यह जरूर है कि कुछ हजार अभ्यर्थियों को और नियुक्ति मिल जाएगी। वहीं, यदि 21 मई के उत्तीर्ण प्रतिशत पर रिजल्ट आता तो तय पदों से अधिक अभ्यर्थी सफल होते, तब शिक्षामित्रों का वेटेज अंक व उम्र सीमा का लाभ दिखाई पड़ता।
शिक्षामित्रों की खातिर नई लकीर खींचने की तैयारी
प्रदेश सरकार फिर शिक्षामित्रों की खातिर नई लकीर खींचने की तैयारी में है। वजह यह है कि भर्ती की लिखित परीक्षा के चंद दिन उत्तीर्ण प्रतिशत बढऩे से काफी कम संख्या में अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं, माना जा रहा है सबसे अधिक नुकसान शिक्षामित्रों का ही हुआ है। उन्हें नियुक्ति दिलाने के लिए तय उत्तीर्ण प्रतिशत से पांच अंक घटाने की गुहार हाईकोर्ट में लगाने की योजना है। हालांकि यह मुहिम मुकाम तक पहुंचने की डगर बहुत कठिन है और भर्ती में शायद अपने तरह का अनूठा प्रयास भी है।
परिषदीय स्कूलों की सहायक अध्यापक भर्ती 2018 की लिखित परीक्षा में परिणाम में कुल भर्ती की 26944 सीटें खाली हो रही हैं। परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थी 68500 पदों के लिए अर्ह नहीं मिल सके हैं। भर्ती की सीटें भरने के लिए अब फिर से सरकार कोर्ट की शरण में जाकर पांच फीसदी अंक घटाने की गुहार लगाएगी। हालांकि सरकार ने शिक्षामित्रों के लिए 21 मई को सामान्य व ओबीसी के लिए 33 व एससी-एसटी के लिए 30 फीसदी अंक का प्रावधान किया था लेकिन, हाईकोर्ट ने उसे नहीं माना। कोर्ट का कहना था कि बीच में भर्ती के नियम नहीं बदले जा सकते। इसलिए शासनादेश का उत्तीर्ण प्रतिशत लागू हुआ। वहीं, शीर्ष कोर्ट इसी तरह के निर्णय कई बार दे चुका है। ऐसे में सरकार की इस दलील को कोर्ट मानेगा इस पर संशय बरकरार है
अंक प्रतिशत घटा तो बनेगी नजीर
भर्ती परीक्षाओं में अब तक इस तरह का मामला सामने नहीं आया है कि कुल पदों के सापेक्ष उतने अभ्यर्थी ही सफल न हुए हों। अब हाईकोर्ट यदि सरकार की गुहार सुन लेता है तो यह भर्ती अपने आप में नजीर होगी। इसके पहले तक लोकसेवा आयोग आदि में अर्ह अभ्यर्थी न मिलने से चयन न होने के कई मामले हैं लेकिन, भर्ती के तय पदों से कम उत्तीर्ण होने का यह अनूठा प्रकरण है।
विशेषज्ञ भी दो धड़ों में बंटे
यूपीपीएससी के पूर्व परीक्षा नियंत्रक बादल चटर्जी कहते हैं कि सरकार का यह निर्णय उचित नहीं है, जिस कमेटी ने उत्तीर्ण प्रतिशत का मानक तय किया, उसने इन अंकों पर शिक्षकों की गुणवत्ता देखी होगी, अब कम अंक पर चयन होने से गुणवत्ता प्रभावित होगी। यूपी पीएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रो. केबी पांडेय ने कहा कि इस तरह का यह रिजल्ट पहला है, सरकार चाहे तो सीटें भरने के लिए उत्तीर्ण प्रतिशत कम करने की गुहार लगा सकती है।