खेल में फेल होने वाले विद्यालयों गिरेगी गाज
संतकबीर नगर:राजकीय व सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अब खेल के नाम पर खानापूर्ति नहीं चलेगी। विद्यालय में खेल कराने के साथ कक्षावार विवरण तैयार करना होगा। तहसील स्तर पर कम से कम दो खेलों में प्रतिभाग कराना आवश्यक होगा। ऐसा न होने पर संबंधित विद्यालयों में कार्रवाई तय है। इसमें स्पष्टीकरण के साथ खेल शुल्क व अन्य सुविधाओं पर रोक लगाकर कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए डीआइओएस ने बैठक करके प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया है।
माध्यमिक विद्यालयों में खेल विषय के लिए शिक्षकों का मानक तय है। 500 छात्र-छात्राओं पर एक शिक्षक होना अनिवार्य है।
इसके लिए प्रत्येक विद्यालय में खेल विषय के लिए व्यायाम शिक्षकों की व्यवस्था करने का निर्देश है। जिन विद्यालयों में व्यायाम शिक्षक भी नहीं हैं वहां ऐसे शिक्षक-शिक्षिकाओं से खेल विषय के शिक्षण का कार्य कराया जाए जो खेल में रुचि रखते हों। इस संबंध में जिला विद्यालय निरीक्षक ने निर्देश जारी कर करते हुए 15 दिन में निर्धारित प्रारूप पर ब्यौरा मांगा है।
---
अनिवार्य रूप से होगा खेल
शासन ने सभी माध्यमिक विद्यालयों में 2004 से खेल विषय को अनिवार्य विषय के रूप में लागू कर रखा है। बावजूद इसके ज्यादातर विद्यालयों में खेल के नाम पर सिर्फ 'खेल' हो रहा है। सबसे खराब स्थित सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों की है। जहां न तो खेल के पर्याप्त संसाधन हैं और न ही खेल का मैदान। शिक्षकों की भी कमी है। लेकिन अब शिक्षकों की कमी को दूर करने की तैयारी शुरू हो गई है। खेल में रुचि रखने वाले शिक्षकों को इसकी कमान सौंपी जानी है।
--
प्रधानाचार्यों को दिया गया निर्देश
राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को इसके लिए निर्देशित किया गया है। खेल प्रतियोगिताएं का समय घोषित कर दिया गया है।
तैयारी के साथ हर विद्यालय की टीम को भेजने का निर्देश दिया है। इसमें खाना पूर्ति नहीं चलेगी। प्रतियोगिता का ध्येय केवल हार-जीत व स्थान का कोरम ही नहीं बल्कि छात्र-छात्राओं विकास है। बच्चों के पढ़ाई व खेल में जहां भी शिकायत मिलेगी कार्रवाई की जाएगी।
-शिवकुमार ओझा
-जिला विद्यालय निरीक्षक