इलाहाबाद : परीक्षा नियामक प्राधिकारी दफ्तर में कॉपियां और सरकारी अभिलेख जलाए, दैनिक जागरण की स्पेशल रिपोर्ट
इलाहाबाद (जेएनएन)। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय उप्र की सचिव सुत्ता सिंह व रजिस्ट्रार पर कार्रवाई होने के चंद घंटे में ही परीक्षा संस्था परिसर में सरकारी अभिलेख व कॉपियां जलाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस पर हंगामा मच गया, कॉपियां मिलने की राह देख रहे अभ्यर्थियों ने जलते अभिलेख की फोटो व वीडियो वायरल किया है। उनका आरोप है कि गड़बड़ी के सबूत मिटाने के लिए इस तरह की हरकत की गई है। उधर, निवर्तमान सचिव का फोन न उठने से उनका पक्ष नहीं जाना जा सका है। उल्लेखनीय है कि सहायक अध्यापक भर्ती की खामियों की लिस्ट बहुत लंबी है।
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल
शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा कराने वाले परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में रिजल्ट आने के बाद से अनवरत प्रदर्शन और आंदोलन चल रहा है। स्कैन कॉपी केवल उसे ही किसी तरह मिल पा रही है, जो कोर्ट का आदेश लेकर आ रहे हैं। शनिवार पूर्वान्ह में सरकार ने परीक्षा नियामक सचिव को निलंबित व रजिस्ट्रार को हटा दिया है। इस सूचना पर कार्यालय परिसर में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी उमड़ पड़े, उसी बीच परिसर के ही चहारदीवारी के किनारे अभ्यर्थियों को कुछ जलता दिखाई पड़ा। अभ्यर्थियों की मानें तो वहां पर सरकारी अभिलेख जलाए गए थे और कुछ फटी हुई उत्तर पुस्तिकाएं आसपास पड़ी थी। उसकी फोटो खींची गई और वीडियो भी बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया है। जल रहे अभिलेख में तमाम ओएमआर शीट बताई जा रही हैं। ज्ञात हो कि शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा से पहले उप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी यूपी टीईटी 2018 की परीक्षा ओएमआर शीट पर ही हुई थी और उसमें भी कई प्रश्नों के जवाब को लेकर विवाद रहा है, यह प्रकरण हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था।
जमकर हंगामा और नारेबाजी
अभ्यर्थियों ने इस हरकत पर जमकर हंगामा काटा और नारेबाजी की। पुलिस ने उन्हें किसी तरह शांत कराया। अभ्यर्थियों का कहना है कि भ्रष्टाचार का सुबूत मिटाने के लिए अभिलेखों को जलाया गया है। यदि उन अभिलेखों में गड़बड़ी नहीं थी तो कार्रवाई होते ही उन्हें जलाने की जरूरत क्यों पड़ी? उच्च स्तरीय टीम इस मामले की भी छानबीन करे और जो दोषी मिले उसे जेल भेजा जाए। निवर्तमान सचिव का फोन न उठने से उनका पक्ष नहीं जाना जा सका है।
भर्ती की खामियों की लिस्ट बहुत लंबी
सहायक अध्यापक भर्ती की खामियों की लिस्ट बहुत लंबी है। परीक्षा संस्था कार्यालय पर जुटी भीड़ के चेहरे पर आक्रोश और दिल का दर्द साफ झलक रहा था। छटपटाहट की वजह यही थी कि उन्हें बताया गया कि अब स्क्रूटनी और कॉपियों की दोबारा जांच नहीं हो सकती। एक दिन बात साफ हुआ कि परीक्षा शुल्क से कई गुना अधिक का डिमांड ड्राफ्ट देकर कॉपियां देख सकते हैं। युवाओं ने किसी तरह दो हजार रुपये जुटाकर बड़ी संख्या में दावेदारी की, जो पैसे का इंतजाम न कर पाए वह प्रत्यावेदन देकर ही जांच की मांग उठाते रहे। इतने पर भी उन्हें कॉपी नहीं दिखाई गई तो कोर्ट का सहारा लिया गया। अब तक जितने मामले आए हैं वह सब कोर्ट के आदेश पर कॉपियां पाने वाले हैं, सामान्य अभ्यर्थी अब भी कॉपी मिलने की राह देख रहे थे। माना जा रहा था कि बाकी कॉपियों में दफन बड़े राज आगे खुलेंगे।
जांच रिपोर्ट में फंसने का अंदेशा
परीक्षा परिणाम की खामियों के बीच भर्ती के लिए चयन में मनमानी शैली अपनाई गई। 68500 शिक्षक भर्ती के शासनादेश को दरकिनार करके परीक्षा में सफल 41556 अभ्यर्थियों को ही चयन का आधार बनाया गया। इससे दूसरा झटका परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 6127 अभ्यर्थियों को लगा। बवाल मचने पर मुख्यमंत्री ने खुद प्रकरण का संज्ञान लिया, तब चयन मानक दुरुस्त हुआ। दो चयन सूची बनने से जिला आवंटन गड़बड़ा गया। अधिक मेरिट वाले दूर के जिले में व कम अंक पाने वालों को अपना गृह जिला मिल गया। सीएम के हस्तक्षेप पर भर्ती की लिखित परीक्षा हुई, इम्तिहान में सबको साथ लेने के लिए उत्तीर्ण प्रतिशत कम किया गया। हालांकि कोर्ट ने उसे नहीं माना। ऐसे ही परीक्षा में उत्तरकुंजी जारी करने, हर अभ्यर्थी को कार्बन कॉपी मुहैया कराने जैसे इंतजाम रिजल्ट और चयन सूची की भेंट चढ़ गए। नियमों से खेलने वाले अफसरों को चुनकर कार्रवाई हुई है। जिस तरह से उच्च स्तरीय कमेटी बनी है। जांच रिपोर्ट में अभी कई के फंसने का अंदेशा है।