इलाहाबाद : पुनर्गठित बोर्ड चार माह में तय नहीं कर पाया प्रधानाचार्य, अशासकीय माध्यमिक कालेजों में वर्षो से खाली संस्था प्रधान के पद, पांच साल पहले लिए गए आवेदन, पूरा नहीं हुआ सत्यापन
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र का पुनर्गठन हुए चार माह हो चुके हैं लेकिन, वह अब तक चार कदम भी नहीं चल सका है। चयन बोर्ड ने ही नई भर्तियों पर सवालिया निशान लगा दिया है, वहीं लंबित भर्तियों को तेजी से आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। यह जरूर है कि कार्यालय की पत्रवलियां एक से दूसरे अफसर की मेजों पर घूमकर अलमारियों की शोभा बन रही हैं। वहीं, अशासकीय माध्यमिक कालेज विभिन्न पदों पर चयन होने की लंबे समय से टकटकी लगाए हैं। 1प्रदेश भर के चार हजार से अधिक अशासकीय माध्यमिक कालेजों के लिए प्रधानाचार्य, प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक का चयन करने को बोर्ड गठित है। इसी माह मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव भर्ती बोर्ड व आयोगों को बुलाकर तेजी लाने का सख्त निर्देश दे चुके हैं, इसके बाद भी चयन बोर्ड की रफ्तार में कोई अंतर नहीं है। संस्था प्रधान यानी 2011 में प्रधानाचार्य पद का विज्ञापन 27 जून को जारी हुआ। 955 पदों के लिए आवेदन 26 सितंबर 2011 तक लिए गए।1 यह प्रकरण हाईकोर्ट पहुंचने पर रुक गया, कानपुर मंडल को छोड़कर अन्य मंडलों का साक्षात्कार तक हो चुका है लेकिन, कोर्ट का स्थगनादेश होने के कारण अब तक इन पदों पर प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। इसी तरह से 2013 में 599 पदों के लिए 31 दिसंबर को फिर विज्ञापन जारी हुआ। 25 फरवरी 2014 तक आवेदन लिए गए। चयन बोर्ड का बीते अप्रैल में पुनर्गठन किया गया, उसकी पहली बैठक में कहा गया कि जून में ही ये साक्षात्कार शुरू होंगे, अब तक सभी मंडलों के आवेदन पत्रों का सत्यापन पूरा नहीं हो सका है।1 इस संबंध में प्रधानाचार्य पद के दावेदार चयन बोर्ड अध्यक्ष व अन्य अफसरों से मिलकर प्रक्रिया शुरू करने की कई बार गुहार लगा चुके हैं। हाईकोर्ट भी पिछले माह संस्था प्रधान के पद खाली होने पर सख्त नाराजगी जताई है, फिर भी अनसुनी जारी है। चयन बोर्ड प्रधानाचार्यो की जगह अगले माह से 2011 की लिखित परीक्षा के जो परिणाम जारी हो चुके हैं, उनका साक्षात्कार कराने जा रहा है। ऐसे में प्रधानाचार्य चयन फिर अटक सकता है।