देवरिया : बच्चों को समर्पित जीवन, पढ़ाई ही पूजा, मानकों पर भी खरा है विद्यालय, दो बार मिल चुका है सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार
विवेकानंद मिश्र ’ देवरिया1एक ऐसा भी विद्यालय है जो कांवेंट की तर्ज पर चल रहा है। बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। साफ कपड़े पहनते हैं, टाई, बेल्ट लगाते हैं और चमचमाते बर्तन में खाना खाते हैं। पढ़ाई के साथ यह विद्यालय पर्यावरण एवं स्वच्छता के मानकों पर भी खरा है। यह सब संभव हुआ है प्रधानाध्यापक डा. आदित्य नारायण गुप्त की मेहनत से। कड़े अनुशासन के साथ बच्चों के प्रति उनके समर्पण ने विद्यालय को अलग मुकाम दिलाया है। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा लगातार दो बार उन्हें जिला का सर्वश्रेष्ठ शिक्षक चुना गया।1देवरिया जनपद के बरहज तहसील क्षेत्र प्राथमिक विद्यालय देईडीहां शिक्षा के मामले में कांवेंट स्कूलों से कहीं बेहतर है। वर्ष 2011 में डा.आदित्यनारायण की जब इस विद्यालय पर तैनाती हुई तो उस समय इस विद्यालय पर मात्र तीन बच्चे थे। उनके सामने न केवल विद्यालय चलाने की चुनौती थी बल्कि अभिभावकों का भरोसा भी जीतना था। वह अभिभावकों के पास गए, सबसे पहले अपने घर के बच्चों का दाखिला कराया। परिसर को हरा-भरा करने के लिए छायादार व सुगंधित पौधे लगाए। परिसर में बने प्रसाधन कक्षा पर अपने वेतन से 52 हजार रुपये खर्च किए। विद्यालय का प्रसाधन गुणवत्ता व सफाई में घर के प्रसाधन को भी मात दे रहा है। शिक्षा के पति समर्पण, मेहनत व अनुशासन रंग लाया। वर्तमान में 174 बच्चे विद्यालय की धरोहर हैं। इन बच्चों को टाई, बेल्ट व अतिरिक्त शिक्षण सामग्री खुद के पैसे से मुहैया कराते हैं। बच्चों को बैठने के लिए कमरे में मैट बिछाया गया है। सभी दरवाजों व खिड़की पर पर्दे लगे हैं। यह उनका समर्पण ही है, जो स्कूल टाइम के बाद भी पढ़ने वाले बच्चों की अतिरिक्त क्लास लगाते हैं।
बेटी व भतीजा का कराया नामांकन: जो परिषदीय शिक्षक बेहतर तालीम के लिए अच्छे विद्यालयों में अपने बच्चों का नामांकन कराते हैं, डा.आदित्य उनके लिए नजीर हैं। उन्होंने अपनी दो बच्चियों व भाई के तीन बच्चों का नामांकन इस विद्यालय में कराया है। बेटी आकांक्षा कक्षा तीन व आदिमा कक्षा दो की छात्र है।
स्कूल में लगा दिया पत्नी का पंखा: तंगहाली में पढ़ाई कर शिक्षक बने आदित्य को जब गर्मी में बच्चों की परेशानी देखी नहीं गई तो पत्नी के मायके से मिले दो पंखे उससे मांग कर स्कूल के कमरे में लगा दिया। पत्नी का सोफा भी विद्यालय में रखवा दिया।
विवेकानंद मिश्र ’ देवरिया । एक ऐसा भी विद्यालय है जो कांवेंट की तर्ज पर चल रहा है। बच्चे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं। साफ कपड़े पहनते हैं, टाई, बेल्ट लगाते हैं और चमचमाते बर्तन में खाना खाते हैं। पढ़ाई के साथ यह विद्यालय पर्यावरण एवं स्वच्छता के मानकों पर भी खरा है।
यह सब संभव हुआ है प्रधानाध्यापक डा. आदित्य नारायण गुप्त की मेहनत से। कड़े अनुशासन के साथ बच्चों के प्रति उनके समर्पण ने विद्यालय को अलग मुकाम दिलाया है। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा लगातार दो बार उन्हें जिला का सर्वश्रेष्ठ शिक्षक चुना गया।
देवरिया जनपद के बरहज तहसील क्षेत्र प्राथमिक विद्यालय देईडीहां शिक्षा के मामले में कांवेंट स्कूलों से कहीं बेहतर है। वर्ष 2011 में डा.आदित्यनारायण की जब इस विद्यालय पर तैनाती हुई तो उस समय इस विद्यालय पर मात्र तीन बच्चे थे। उनके सामने न केवल विद्यालय चलाने की चुनौती थी बल्कि अभिभावकों का भरोसा भी जीतना था। वह अभिभावकों के पास गए, सबसे पहले अपने घर के बच्चों का दाखिला कराया। परिसर को हरा-भरा करने के लिए छायादार व सुगंधित पौधे लगाए। परिसर में बने प्रसाधन कक्षा पर अपने वेतन से 52 हजार रुपये खर्च किए। विद्यालय का प्रसाधन गुणवत्ता व सफाई में घर के प्रसाधन को भी मात दे रहा है। शिक्षा के पति समर्पण, मेहनत व अनुशासन रंग लाया। वर्तमान में 174 बच्चे विद्यालय की धरोहर हैं। इन बच्चों को टाई, बेल्ट व अतिरिक्त शिक्षण सामग्री खुद के पैसे से मुहैया कराते हैं। बच्चों को बैठने के लिए कमरे में मैट बिछाया गया है। सभी दरवाजों व खिड़की पर पर्दे लगे हैं। यह उनका समर्पण ही है, जो स्कूल टाइम के बाद भी पढ़ने वाले बच्चों की अतिरिक्त क्लास लगाते हैं।
बेटी व भतीजा का कराया नामांकन: जो परिषदीय शिक्षक बेहतर तालीम के लिए अच्छे विद्यालयों में अपने बच्चों का नामांकन कराते हैं, डा.आदित्य उनके लिए नजीर हैं। उन्होंने अपनी दो बच्चियों व भाई के तीन बच्चों का नामांकन इस विद्यालय में कराया है। बेटी आकांक्षा कक्षा तीन व आदिमा कक्षा दो की छात्र है।
स्कूल में लगा दिया पत्नी का पंखा: तंगहाली में पढ़ाई कर शिक्षक बने आदित्य को जब गर्मी में बच्चों की परेशानी देखी नहीं गई तो पत्नी के मायके से मिले दो पंखे उससे मांग कर स्कूल के कमरे में लगा दिया। पत्नी का सोफा भी विद्यालय में रखवा दिया।
प्राथमिक विद्यालय देईडीहा में बच्चों को पढ़ाते डा. आदित्य नारायण गुप्त ’ जागरणअगर शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना है तो इसकी शुरुआत हमें अपने घर से करनी होगी। हर अध्यापक को अपने बच्चों का नामांकन प्राथमिक विद्यालय में कराना चाहिए। अगर हम अपने बच्चों को कांवेंट विद्यालय में भेजेंगे तो कोई व्यक्ति परिषदीय शिक्षा व्यवस्था पर भरोसा कैसे करेगा? - आदित्यनारायण गुप्त, प्रधानाध्यापक