उसावां के विद्यालयों में शौचालय बदहाल
बदायूं : उसावां में तमाम कोशिशों के बाद भी विकास क्षेत्रों के विद्यालयों की बदतर स्थिति नहीं सुधर पा रही है। विद्यालय खोलने की औपचारिकता निभाकर इतिश्री कर दी जाती है। शिक्षक गैरहाजिर रहते हैं तो मध्याह्न भोजन गुणवत्तापरक नहीं बनाया जाता। सफाई व्यवस्था भी दयनीय है। जहां पूरे देश में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय बनवाए जा रहे हैं तो वहीं विद्यालयों में शौचालयों की दुर्गति कर दी है। न तो कोई जिला मुख्यालय का अधिकारी इन विद्यालयों की स्थिति देखता है और न ही खंड शिक्षा अधिकारी। ब्लॉक संसाधन केंद्र से 10 किमी दूर स्थित मौजमपुर के उच्च प्राथमिक विद्यालय में 166 छात्र-छात्राओं के सापेक्ष मात्र 60 बच्चे ही आए थे। जितेंद्र कुमार बच्चों को पढ़ा रहे थे तो दूसरे शिक्षक सुबह गैरहाजिर मिले। बच्चों को पढ़ाने के कक्ष को रसोइघर बनाकर मध्याह्न बनवाया जाता है। परिसर में झाड़ीनुमा घास है। जिसकी वजह से कीड़े आने का खतरा बना रहता है। गांव लिलवां के प्राथमिक विद्यालय में पंजीकृत 109 बच्चों की जिम्मेदारी दो शिक्षामित्रों पर है। उपस्थित छात्र-छात्राएं हुड़दंग कर रहे थे।मध्याह्न भोजन के नाम पर बच्चों को तहरी खिलाई जा रही थी। शौचालय भी बदहाल था। परिसर में गंदगी मिली और घास थी। गांव खिरिया मधुकर के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षामित्र राजबाला शाक्य विद्यालय में उपस्थित नहीं थीं। उच्च प्राथमिक विद्यालय में भी सुविधाओं के नाम पर खिलवाड़ किया जा रहा था। चार शिक्षकों में मात्र एक ही शिक्षिका अलका सागर उपस्थित थीं। शौचालय की देखरेख न होने की वजह से ध्वस्त हो चुका है। प्राथमिक विद्यालय अटेना में प्रधानाध्यापक मुनेश चंद्र ने बताया कि विद्यालय में 183 बच्चे पंजीकृत हैं। छात्र-छात्राओं के पंजीकरण के हिसाब से खाद्यान्न न मिलने की वजह से परेशानी हो रही है।