आखिर मास्टरमाइंड पर इतनी मेहरबानी क्यों?
सिद्धार्थनगर : बेसिक शिक्षाविभाग के लिए फर्जीवाड़े के मामले नये नहीं है। कभी कोई किसी और अंकपत्रों पर नौकरी करता मिलता है तो कभी मुर्दे भी यहां नौकरी करते दिख जाते हैं। ऐसे में मामले यहां अर्से से प्रकाश में आ रहे हैं। 36 फर्जी शिक्षकों पर मुकदमा कायम होता है। 38 फर्जी शिक्षक बर्खास्त होते हैं। सवाल यह है कि इनकी विभाग में क्या सीधे नियुक्ति होती है। क्या यह बिना जांच पड़ताल के ही वेतन उठाते रहते हैं। क्या इनके अंकपत्रों, दिव्यांग प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं होता। सवाल यह है कि बार-बार यही जनपद ही क्यों? मास्टरमाइंड का जनपद से कोई न कोई रिश्ता तो अवश्य है। फिर भी विभाग ने अभी तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की, जिनका इस फर्जीवाड़े में अहम रोल है। यहां सिर्फ बेसिक शिक्षा विभाग ही नहीं, पुलिस की भी भूमिका संदिग्ध है। विभाग यदि 38 शिक्षकों पर मुकदमा पंजीकृत करा भी दे तो पुलिस कार्रवाई सिर्फ उन्हीं पर करेगी, जिनका फर्द में नाम होगा।
चोरी के तीन दर्जन से अधिक मामले लंबित हैं। यहां सिर्फ चोरी के प्रयास के एक मामले को पुलिस ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। पुलिस मामले की जांच भी गंभीरता से करती रही। ताला तोड़ने में जो चेहरे प्रकाश में आए उन पर भी पुलिस की निगाह रही और जो चेहरे प्रकाश में नहीं आए उन पर भी। लग्जरी वाहन से घूमने वाले एक शिक्षक पर पुलिस की विशेष निगाह रही। पुलिस उसे उनके विद्यालय से लेकर कार्यालय तक छानबीन करती रही। एक अन्य शिक्षक को लेकर पुलिस ने बीईओ बढ़नी ने भी पूछताछ की। यह और बात है कि पुलिस इसे स्वीकार नहीं कर रही है। स्पष्ट रूप से बीइओ बढ़नी भी कुछ बताने से कतराते हैं। तथाकथित शिक्षक के विषय में वह सिर्फ इतना बताते हैं कि वह विद्यालय आता है कि नहीं इस विषय में सटीक अभी कुछ भी नहीं बताया जा सकता। 10-15 दिन से विद्यालय का रजिस्टर नहीं देखा गया है। इतना ही नहीं बढ़नी ब्लाक का एक और शिक्षक पुलिस के संपर्क में है। ताला टूटने के तीसरे ही दिन मुख्यालय टीम उससे संपर्क करने निकल गई। यह और बात है कि पुलिस संदेश यही दे रही है कि वह ताला तोड़ने की ही जांच में लगी थी, लेकिन यहां जांच के नाम पर प्रयास ऐसे रहे कि इससे महत्वपूर्ण कोई घटना रही न गई। सवाल यह है गर्मजोशी से हुई जांच का नतीजा इतना ठंडा क्यों रहा। सबकी कुंडली खंगालने वाली पुलिस अचानक सिर्फ ताले पर क्यों सिमट गई। सवाल खड़ा होना स्वाभाविक है। कहीं कोई दबाव तो नहीं अथवा नतीजे बदलने का कारण कुछ और है।
13 मार्च 2013, तत्कालीन बेसिक शिक्षाधिकारी बी.एन.¨सह की तहरीर पर सदर थाने में 36 फर्जी शिक्षकों के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया गया। स्पष्ट है कि इन फर्जी शिक्षकों ने भी कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर नौकरी की व्यवस्था की। इसमें भी विभाग ने कई लोगों से पूछताछ की। सवाल यह है कि बिना विभागीय संलिप्तता के इन शिक्षकों की नौकरी चली। 36 के अलावा भी विभाग ने किसी पर क्या कोई कार्रवाई की ?10 जुलाई 2018- शोहरतगढ़ तहसील क्षेत्र में ग्राम चेतरा जूनियर स्कूल में पकड़ा गया फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी करता एक शिक्षक पकड़ा गया। उसके विरुद्ध चिल्हिया थाने में मुकदमा भी पंजीकृत किया गया। आरोपित चन्द्र प्रकाश नामक व्यक्ति की डिग्री पर नाम बदलकर नौकरी कर रहा था। चन्द्रप्रकाश वर्तमान में संवीक्षा अधिकारी के पद पर तैनात हैं। जांच में ज्ञात हुआ कि आरोपित का नाम अमित है। सवाल यह है कि अमित क्या बिना सांठ-गांठ के नौकरी करता रहा। इसकी क्या गंभीरता से जांच की गई। जांच हुई तो कार्रवाई क्या हुई? 23 अगस्त 2018- जांच में 38 शिक्षक फर्जी निकले। उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। शिक्षकों के बर्खास्त होने के चौथे ही दिन बीएसए कार्यालय में एक विशेष कमरे का ताला तोड़कर दस्तावेज चोरी का प्रयास किया। फिर पुलिस की छानबीन में सिर्फ पांच व्यक्तियों का नाम प्रकाश में आया है। 38 तो वह फर्जी शिक्षक हैं, जिनके नाम पूर्व में विभाग को दिए जा चुके हैं। इनके लिए भी चयन समिति रही होगी। इनकी भी काउंसि¨लग हुई है। इनके सत्यापन के रिपोर्ट भी किसी लिपिक के पटल से गुजरी होगा। ऐसे में संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई क्या हुई? डायट बांसी में वर्ष 2010 में आग लगी थी। इसमें तमाम महत्वपूर्ण दस्तावेज जल गए थे। उस समय भी दावा किया गया था कि यह आग फर्जी शिक्षकों द्वारा लगवाई गई थी। पुलिस उस जांच का खुलासा नहीं कर सकी कि आग किसने लगाई थी।
जिले में फर्जीवाड़े के मामले अर्से से सुर्खियों में हैं। इस बात की भी आशंका जताई गई है कि यहां बड़े पैमाने पर फर्जी शिक्षक मौजूद हैं। विभाग सिर्फ उन नामों पर कार्रवाई करता है, जिन पर संदेह जताया जाए। यहां कुछ अभ्यर्थियों द्वारा 68 नामों को लेकर दबाव नहीं बनाया गया होता तो 38 की बर्खास्तगी भी कठिन थी। यहां करीब डेढ़ दशक से फर्जीवाड़े के मामले चर्चा में हैं। बावजूद इसके शासनस्तर पर इसे अभी तक संज्ञान में नहीं लिया गया। यूपी एसटीएफ अन्य जिलों फर्जी शिक्षकों को लेकर जांच कर रही है, पर यहां वह भी कोई चमत्कार नहीं दिखा सकी है।
पुलिस अधीक्षक डा. धर्मवीर सिंह ने कहा कि पुलिस को फर्जी शिक्षकों से संबंधित तहरीर मिले तब तो वह आगे की कार्रवाई करे। बेसिक शिक्षाधिकारी राम सिंह ने कहा कि खंड शिक्षाधिकारियों को मुकदमा दर्ज कराने के लिए प्रार्थना पत्र सौंपा गया था, पर वह काउंसि¨लग में व्यस्त थे। अब सभी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। मेरे द्वारा आते ही कह दिया गया था कि फर्जी शिक्षक जिला छोड़कर चले जाएं। आधे से अधिक शिक्षक जा भी चुके हैं।