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नई दिल्ली : विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शुरू होंगे जन स्वास्थ्य से जुड़े पाठ्यक्रम, इन विषयों के स्नातक ले सकेंगे प्रवेश

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नई दिल्ली : विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शुरू होंगे जन स्वास्थ्य से जुड़े पाठ्यक्रम, इन विषयों के स्नातक ले सकेंगे प्रवेश

नई दिल्ली : आयुष्मान भारत की सौगात देने के साथ ही सरकार अब जन स्वास्थ्य को लेकर भविष्य की नींव को भी मजबूती देने में जुट गई है। इसे लेकर सरकार ने एक बड़ी पहल की है। देशभर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में जन स्वास्थ्य से जुड़ा एक नया कोर्स शुरू करने को मंजूरी दी गई है। जो अगले साल से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शुरू हो जाएगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इस संबंध में सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं।


सरकार का मानना है कि इस खास पाठ्यक्रम के शुरू होने से देश में जन स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेषज्ञों की कमी खत्म हो जाएगी, जो सरकार की अब तक की तमाम कोशिशों के बाद भी बनी हुई है। वैसे भी मौजूदा समय में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अब तक इस तरह का कोई पाठ्यक्रम मौजूद नहीं है, जिससे जन स्वास्थ्य से जुड़े ऐसे विशेषज्ञ तैयार किए जा सकें जो बीमारियों की जानकारी रखने के साथ ही स्वास्थ्य प्रबंधन के क्षेत्र में भी पारंगत हों। अभी इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग दूसरे क्षेत्रों से शिक्षित होकर काम कर रहे हैं।विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शुरू होने वाले जन स्वास्थ्य से जुड़े इस खास कोर्स को ‘मास्टर इन पब्लिक हेल्थ’ नाम दिया गया है। यह दो वर्षीय पाठ्यक्रम होगा।


इनमें विज्ञान और कला दोनों ही क्षेत्र से कुछ खास विषयों से जुड़े स्नातक छात्र प्रवेश ले सकेंगे। इसमें छात्रों को कम से कम 400 घंटे का इंटर्नशिप और शोध कार्य करना अनिवार्य होगा। इसके जरिये छात्रों को रोगों से जुड़ी देश और दुनिया की जानकारी के साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रबंधन, नीति और सर्वे आदि की पढ़ाई कराई जाएगी। इसकी पूरी पढ़ाई नियमित (रेगुलर) होगी। स्वास्थ्य मंत्रलय ने मानव संसाधन विकास मंत्रलय से इस तरह के पाठ्यक्रम को शुरू करने की सिफारिश काफी पहले की थी।


इन विषयों के स्नातक ले सकेंगे प्रवेश
मेडिसीन, आयुष, वेटेनरी साइंस, एलाइड एवं हेल्थ साइंस, लाइफ साइंस, स्टेटिक्स, बायोस्टेटिक्स, डेमोग्राफी, पापुलेशन स्टडी, न्यूट्रीशन, सोशियोलॉजी, साइकोलॉजी, एंथ्रोपोलोजी, सोशल वर्क। विश्वविद्यालयों को यह विवेकाधिकार भी दिया गया है कि वे जरूरत के मुताबिक इसमें कुछ और विषयों को भी शामिल कर सकें।



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