वेतन से एक हज़ार की मनमानी कटौती से शिक्षकों में रोष
रायबरेली : जिले के बेसिक शिक्षकों के वेतन से एक हज़ार की कटौती को लेकर शिक्षकों में खासी नाराज़गी है। शिक्षकों का आरोप है कि अगस्त माह के वेतन से एक हज़ार की कटौती की गयी है पूछने पर केरल आपदा के नाम कटौती होना बताया गया जबकि शिक्षकों से कोई पूर्व सहमति नहीं ली गयी थी। इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी और संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक के पत्र में कहा गया था कि शिक्षकों से पूर्व अनुमति लेकर स्वेच्छा से ही कटौती की जाये लेकिन वित्त एवं लेखाधिकारी ने उच्च अधिकारीयों के आदेशों को दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से कटौती कर ली। सितम्बर माह में शिक्षकों के खातों में जब सैलरी आयी तब उन्हें कटौती की जानकारी हुई। जिले के जिन 82 शिक्षकों ने कटौती ना किये की मांग बीएसए से की थी उनकी सैलरी से कटौती नहीं हुई है।
इस सम्बन्ध में जिले के शिक्षकों ने वित्त एवं लेखाधिकारी से जन सूचना अधिकार के तहत दो बिन्दुओ पर सूचना मांगी है। सूचना में पूछा गया है कि कटौती किस कार्य हेतु और किस सक्षम अधिकारी के आदेश से हुई है। इसके अलावा कटौती हेतु सम्बंधित अधिकारी के आदेश या निर्देश की छायाप्रति की मांग की गयी है ।
शिक्षकों का कहना है कि 27 अगस्त को जारी जिलाधिकारी के पत्र में साफ़-साफ़ लिखा है कि अधिकारी /कर्मचारी के वेतन से स्वेच्छा से कटौती की जाये। इसके दो दिन बाद 29 अगस्त को जारी हुए संयुक्त शिक्षा निदेशक बेसिक के पत्र में भी स्वैच्छिक दान प्राप्त करने हेतु अपील की बात कही गयी है। इसके बाद भी मनमानी कटौती होने से कई शिक्षक अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है क्यूंकि ना तो उन्हें रसीद दी गयी और ना ही उनकी सहमति ली गयी।
एक शिक्षक ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया कि मनमाने तरीके से बिना अनुमति वेतन से कटौती हुई, ये सरासर गलत है जबकि कई शिक्षकों ने पहले ही ऑनलाइन माध्यम से केरल आपदा कोष में स्वेच्छा से पैसे जमा किये है। अब विभाग से 1000 रुपया काट लेना गलत है। शिक्षकों ने मांग की है कि कटौती से सम्बंधित रसीद उपलब्ध करायी जाए।
प्रभारी बीएसए वीरेन्द्र कनौजिया ने बताया कि जिले के समस्त शिक्षक संगठनो ने लिखित पत्र देकर कटौती की सहमति दी थी। जिन शिक्षकों ने व्यक्तिगत कटौती ना किये जाने की मांग की थी उनकी कटौती नहीं की गयी है। जमा रसीद के बाबत पूछे जाने पर बताया कि रसीद कोषागार से मिलेगी।
डीएम रायबरेली द्वारा जारी पत्र
बड़ा सवाल ये है कि जो शिक्षक किसी संगठन से नहीं जुड़े है उनकी कटौती क्यों की गयी ? इसके अलावा सहमति पत्र शिक्षकों से लिया जाना चाहिए या शिक्षक संगठनो से ? इससे ज़ाहिर है कि बेसिक शिक्षा विभाग और शिक्षक संगठनो में कोई ना कोई मिलीभगत है।