पढ़ाई के साथ बच्चे सीख रहे कौशल विकास
बस्ती: परिषदीय प्राथमिक व जूनियर हाई स्कूलों में यदि पढाई के साथ-साथ बच्चों को सिलाई,कढ़ाई, ड्राइंग जैसे कौशल विकास का भी ज्ञान प्राप्त होने लगे तो निश्चित रूप से ऐसे बच्चे आगे चलकर हुनरमंद होंगे। एक ओर जहां माध्यमिक विद्यालयों में विज्ञान की प्रयोगशालाएं सिर्फ दिखाने के लिए रह गईं हैं वहीं यदि जूनियर कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों विद्यालय की प्रयोगशाला में जीव जन्तुओं, वनस्पतियों के बारे में भी जानकारी दी जा रही हो तो निश्चित रूप से ऐसे विद्यालय चर्चा में आ ही जाएंगे। ऐसा ही एक स्कूल है साऊंघाट विकास खंड का पूर्व माध्यमिक विद्यालय पुर्सिया। यहां के बच्चे न सिर्फ विज्ञान की पढ़ाई प्रयोगशाला में करते हैं बल्कि ड्राइंग, डेकोरशन के भी काम सीखते हैं। प्रधानाध्यापक रमाकांत ¨सह के अनुसार उनके विद्यालय में विज्ञान की शिक्षा के लिए आधुनिक प्रयोगशाला का विकास किया गया है। जहां बच्चे सूक्ष्मदर्शी, पवन चक्की, दिशा सूचक यंत्र, विद्युत घंटी, भौतिक तुला, कमानी तुला, वायुदाब, दूरबीन, मानव कंकाल, जीव विज्ञान व वनस्पति विज्ञान के दर्जनों माडल के जरिए ज्ञान प्राप्त करते हैं। बालिकाओं को प्रतिदिन सिलाई, बुनाई, चित्रकारी की शिक्षा दी जाती है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि उनके विद्यालय में 104 बच्चे पंजीकृत हैं। इन्हे पढ़ाने के लिए सात अध्यापक तैनात हैं। सुबह खुलते ही सुबह सबसे पहले बच्चे मां सरस्वती की आराधना करते हैं। कतारबद्ध बच्चे मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हैं उसके बाद प्रार्थना होती है। प्रार्थना के बाद सभी बच्चों को व्यायाम करना अनिवार्य है। इसके बाद कक्षाएं शुरू होती हैं। विज्ञान की पढ़ाई कराने के लिए यहां पर सुसज्जित प्रयोगशाला है। जिसमें विज्ञान के ढेर सारे उपकरण रखे हुए हैं। पाठ के अनुसार शिक्षक यंत्र भी प्रस्तुत करते हैं। जिन्हें चलाने की विधि बच्चों को बताई जाती है। शरीर संरचना का पाठ पढ़ाने के लिए मानव कंकाल का प्रतिरूप भी दिखाया जाता है। लैब में जीव विज्ञान व वनस्पति विज्ञान के दर्जनों माडल रखे गए हैं। विज्ञान अध्यापक ओम प्रकाश द्वारा बच्चों को प्रतिदिन घंटों लैब में विज्ञान की जानकारी दी जाती है। वही बालिकाओं को अध्यापिका सीमा देवी प्रतिदिन सिलाई, बुनाई, चित्रकारी की शिक्षा देती हैं। दीवारों पर बच्चों विभिन्न प्रकार के चार्ट, ड्राइंग व सुंदर चित्र सजाए गए हैं। विद्यालय में प्रवेश करते ही यह लगता ही नहीं है यह कोई परिषदीय विद्यालय है। कांवेंट की तर्ज पर चलने वाले इस विद्यालय के बच्चों का बौद्धिक ज्ञान भी बेहतर है। प्रधानाध्यापक ने बताया कि वह बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रयासरत रहते हैं। उनका स्वप्न है कि यहां के बच्चे देश व प्रदेश में नाम कमाएं।