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इलाहाबाद : चयन बोर्ड में आठ विषयों का दोबारा फंस गया आवेदन, 2016 के विज्ञापन से पद निरस्त होने के बाद 70 हजार अभ्यर्थी अधर में, यूपी बोर्ड ने जीव विज्ञान का भेजा प्रस्ताव, शासन के आदेश का इंतजार

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इलाहाबाद : चयन बोर्ड में आठ विषयों का दोबारा फंस गया आवेदन, 2016 के विज्ञापन से पद निरस्त होने के बाद 70 हजार अभ्यर्थी अधर में, यूपी बोर्ड ने जीव विज्ञान का भेजा प्रस्ताव, शासन के आदेश का इंतजार

इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र की 2016 की प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक की लिखित परीक्षा होने का रास्ता अभी साफ नहीं हो सका है। विज्ञापन से जिन आठ विषयों के पद निरस्त हुए हैं, उनके अभ्यर्थी दूसरे विषयों में आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। करीब 70 हजार दावेदारों में से अब तक गिने-चुने अभ्यर्थियों ने दूसरे विषयों में दावेदारी की है। आवेदन लेने की समय सीमा खत्म होने में अब दस दिन का समय बचा है।

चयन बोर्ड ने 12 जुलाई को वर्ष 2016 टीजीटी-पीजीटी के विज्ञापन से आठ विषयों के पद निरस्त कर दिए थे। चयन बोर्ड का कहना था कि बीस वर्ष से इनमें से अधिकांश विषय ही पाठ्यक्रम में नहीं है। इसलिए इन पदों पर चयन क्यों किया जाए। चयन बोर्ड ने निरस्त विषयों के दावेदारों से दूसरे विषय में आवेदन करने को कहा है। इसके लिए 17 सितंबर से आवेदन लिए जा रहे हैं यह प्रक्रिया 16 अक्टूबर की मध्यरात्रि तक चलेगी। चयन बोर्ड अफसरों की मानें तो अभ्यर्थियों के जितने आवेदन निरस्त हुए हैं उसकी अपेक्षा दावेदारों की संख्या बहुत कम है। वजह है कि अधिकांश पद के अभ्यर्थी दूसरे विषयों में अर्ह ही नहीं है। हालांकि चयन बोर्ड ने एलान किया है कि जो निरस्त विषयों के अभ्यर्थी यदि किसी अन्य विषय में आवेदन नहीं करते हैं तो उनका परीक्षा शुल्क वापस कर दिया जाएगा।

यूपी बोर्ड के प्रस्ताव का अनुमोदन नहीं
यूपी बोर्ड ही चयन बोर्ड से चयनित होने वाले प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक आदि की अर्हता तय करता है। आठ विषयों का प्रकरण तूल पकड़ने पर शासन ने अर्हता विवाद खात्मे को यूपी बोर्ड सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बना दी है। आठ विषयों में सबसे अधिक 67 हजार से अधिक अभ्यर्थी केवल जीव विज्ञान विषय में है। यूपी बोर्ड इस विषय की अर्हता बदलने का प्रस्ताव को भेज चुका है। वहां से अनुमोदन होते ही इस विषय के अभ्यर्थी दूसरे विषय में आसानी से आवेदन कर सकेंगे। माना जा रहा है कि शासन इस संबंध में जल्द ही आदेश जारी करेगा।

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