गोरखपुर : राष्ट्र निर्माण में अहम है शिक्षकों की भूमिका
जासं, गोरखपुर : शिक्षकों को अपनी जवाबदेही का एहसास होना चाहिए। ज्ञान के सृजन में फैकल्टी की ऑटोनामी बहुत जरूरी है। आने वाले समय में उच्च शिक्षा की स्थिति काफी उथल-पुथल होगी। समाज चाहेगा कि उच्च शिक्षा के माध्यम से हर वर्ग का विकास हो। आवश्यकता है कि एक शिक्षक के रूप में हम छात्रों से संवाद स्थापित करें,उनमें तर्कशक्ति का विकास करें। उक्त विचार राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान, नई दिल्ली के उच्च शिक्षा विभाग अध्यक्ष प्रो. सुधांशु भूषण ने दिए। वह सोमवार को गोरखपुर विवि में उच्च शिक्षा में शिक्षकों की भूमिका विषय पर बतौर मुख्य वक्ता अपनी बात रख रहे थे। 1शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी से विश्वविद्यालय के 37वें दीक्षा समारोह अंतर्गत कार्यक्रमों के की शुरुआत हुई। कुलपति प्रो. विजय कृष्ण सिंह ने प्राचीन शिक्षण संस्थाओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि हमें प्राचीन गुरु-शिष्य परंपरा का पालन करना चाहिए। शिक्षण संस्थानों में युवा शक्ति होती है, उन्हें अनुशासित बना कर हम बेहतर नागरिक बना सकते हैं ताकि वह देश और समाज के विकास में अपना योगदान दे सकें। कुलपति ने अनुशासन की अपरिहार्यता पर जोर देते हुए कहा कि अनुशासनहीन छात्र विध्वंसक हो जाते हैं। गोष्ठी में विवि के अनेक शिक्षक, अधिकारी, छात्र-छात्रओं एवं शोधार्थियों की मौजूदगी रही।विश्वविद्यालय के संवाद भवन में बोलते राष्ट्रीय शैक्षिक योजना के अध्यक्ष प्रो. सुधांशु भूषणव्याख्यान को सुनने के लिए उपस्थित शिक्षक छात्र व छात्रएं ’ जागरण’>>गोविवि में ‘उच्च शिक्षा में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर संगोष्ठी 1’>>37वें दीक्षा समारोह अंतर्गत श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रमों की शुरुआत