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इलाहाबाद : शिक्षकों की भर्तियों मामले में उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग में परीक्षाएं व परिणाम की निष्पक्षता पर उठे सवाल

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इलाहाबाद : शिक्षकों की भर्तियों मामले में उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग में परीक्षाएं व परिणाम की निष्पक्षता पर उठे सवाल

इलाहाबाद : उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग यानि यूपीएचईएससी में परीक्षाएं व परिणाम की निष्पक्षता पर अब सदस्य ही सवाल उठा रहे हैं। सदस्य प्रो. रजनी त्रिपाठी ने आयोग अध्यक्ष पर मनमानी व नियमों से छेड़छाड़ करने का गंभीर आरोप लगाया है। प्रो. त्रिपाठी ने इसकी शिकायत अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा को पत्र भेजकर की है।
यूपीएचईएससी के पुनर्गठन में प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा अध्यक्ष नियुक्त हुए। अध्यक्ष व सदस्यों ने सात फरवरी 2018 को पदभार ग्रहण किया। जिसमें सदस्य प्रो. रजनी त्रिपाठी भी शामिल हैं। अभी सात माह बाद बीते हैं कि प्रो. रजनी ने अध्यक्ष पर उत्पीड़न, मनमानी, नियमों से छेड़छाड़ तथा विज्ञापन 46 के तहत हो चुकी असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा में परिणाम प्रभावित करने के गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने अपर मुख्य सचिव को भेजे पत्र में कहा है कि अध्यक्ष का उत्पीड़न चरम पर है। महिला होने के बावजूद उन्हें अलग कक्ष आवंटित न कर पुरुषों के साथ बैठने का स्थान दिया गया है। जहां सुविधाएं नहीं हैं। लिखा है कि सरकारी गजट उप्र विधायी परिशिष्ट भाग-चार, खंड (ब) दो अप्रैल 2014 में वर्णित प्रावधान की अनदेखी कर अध्यक्ष मनमाने ढंग से बोर्ड का गठन कर रहे हैं, स्वयं ही फोन पर परीक्षकों को बुलाते हैं। जबकि नियमत: सचिव को डाक के जरिए परीक्षकों को सूचना देनी चाहिए और बोर्ड का आवंटन लॉटरी के जरिए किया जाना चाहिए। उन्होंने अयोग्य पाए गए अभ्यर्थियों को अधिक अंक देने के लिए विवश करने व विज्ञापन 46 के तहत कई विषयों के परीक्षा परिणाम आधी रात तक अनावश्यक रूप से विलंबित रखने का आरोप लगाया। प्रो. त्रिपाठी ने यह पत्र सितंबर में भेजा है जिसमें यह भी कहा है कि सभी बिंदुओं की गहनता से जांच कराकर अध्यक्ष के उत्पीड़न से रक्षा की जाए। इसके साथ ही प्रो. रजनी से पूर्व में यूपीएचईएससी की सचिव व अध्यक्ष को दिए गए अपने पत्र को भी संलग्न किया है।

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